उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अब तक सर्दियों का खास असर नहीं दिख रहा है। सुबह की शुरुआत में तापमान सामान्य से ऊपर बना हुआ है। यहां तक की पहाड़ी क्षेत्रों में भी सामान्य से ज्यादा गर्मी महसूस हो रही है। जैसे कि गुलमर्ग में इस महीने सबसे कम तापमान मुश्किल से 5°C तक पहुंचा है। श्रीनगर का सबसे कम तापमान 6.5°C दर्ज किया गया है, जबकि पिछले साल इस समय यहां का तापमान 3.2°C था। आमतौर पर, अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में पंजाब और हरियाणा के मैदानी इलाकों का तापमान 15°C से नीचे चला जाता है। लेकिन इस साल अमृतसर, पठानकोट, जालंधर, लुधियाना, हिसार, करनाल और दिल्ली जैसे स्थान अब तक 18°-20°C के बीच बने हुए हैं।
पंजाब में सामान्य से ज्यादा तापमान: अमृतसर, फिरोजपुर और जालंधर, पंजाब के सबसे ठंडे स्थानों में माने जाते हैं, लेकिन आज सुबह इन सभी जगहों पर न्यूनतम तापमान 19°C से ऊपर था। अमृतसर, जालंधर और चंडीगढ़ में तापमान सामान्य से 4°-5°C ऊपर है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस महीने का सबसे कम तापमान 15 अक्टूबर 2024 को 17.4°C दर्ज किया गया था। अब, लगातार 5 दिनों से न्यूनतम तापमान 20°C से ऊपर बना हुआ है। इन मैदानी क्षेत्रों के तापमान में अक्टूबर के बाकी बचे दिनों में कोई बड़ा बदलान होने की संभावना नहीं है। हालांकि, 1°-2°C के छोटे उतार-चढ़ाव हो सकते हैं, जो कि स्थानीय कारकों की वजह से होंगे।
सर्दी का असर कब शुरू होगा?: सर्दियों की ठंड आमतौर पर ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी के बाद और उत्तर-पश्चिमी ठंडी हवाओं के चलते मैदानी इलाकों में महसूस होती है। बता दें, अक्टूबर के मध्य से पहले दो बार बर्फबारी हुई थी, लेकिन ऐसी स्थिति का दोबारा होना अभी बाकी है। इस समय क्षेत्र में मजबूत और शुष्क हवाएं चल रही हैं, लेकिन हवा में ठंडक और सर्दी का एहसास अभी नहीं हो रहा है। 28 और 29 अक्टूबर के आसपास एक पश्चिमी विक्षोभ आने की संभावना है, लेकिन यह मैदानी इलाकों में कोई बड़ा प्रभाव डालने के लिए बहुत हल्का हो सकता है।
तापमान में बदलाव न होने का कारण: तापमान में बदलाव न होने का एक और कारण है पूर्वोत्तर मानसून की गतिविधि, जो देश के पूर्वी और मध्य भागों तक फैली हुई है। इस समय तटीय क्षेत्रों के दोनों ओर मौसम प्रणालियाँ सक्रिय हैं, जो हवा के पैटर्न को नियंत्रित कर रही हैं। बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवाती तूफान बन रहा है और पूर्व-मध्य अरब सागर में कर्नाटक-गोवा तट के पास एक विस्तृत चक्रवाती परिसंचरण है। ये प्रणालियां भले ही दूर हों, लेकिन ये उत्तर और पश्चिमी मैदानी इलाकों में तापमान को प्रभावित करने के लिए काफी हैं।
सर्दियों की ठंड का एहसास होने में अभी देरी: सर्दियों की ठंड का एहसास होने के लिए अभी थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है। भारतीय समुद्रों में कोई बड़ी मौसम गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए और उत्तरी पहाड़ियों को भी बर्फ की चादर से ढकने की जरूरत है, खासकर मध्य और उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में। निचले पहाड़ी इलाकों में आमतौर पर दिसंबर के दूसरे हिस्से में बर्फबारी होती है, और कभी-कभी यह ज्यादा देर से भी होती है। दिल्ली और मैदानी इलाकों में सुबह और रात की ठंडक का एहसास नवंबर में शुरू होने की संभावना है।