उत्तर भारत में समान्यतः फरवरी के खत्म होने के साथ ठंडक का प्रभाव भी कम होने लगता है। लेकिन इस साल भारत के उत्तरी हिस्सों में मौसम बिलकुल अलग देखने को मिला है। सिर्फ मार्च के महीने में ही अब तक आये एक के बाद एक 2 से 3 पश्चिमी विक्षोभ उत्तर-भारत को प्रभावित क्र चुके हैं। और आने वाले 10 दिनों में ये मौसमी सिस्टम पूरे उत्तर-भारत को भी प्रभावित करेगा। इन सभी मौसमो के प्रभाव की वजह से उत्तरी-भारत में सर्दियों का मौसम खत्म होने में अभी और अधिक समय लग सकता है।
उत्तर भारत में गर्मियों के शुरू होने में देरी के 5 कारण
सिलसिलेवार क्रम में आए पश्चिमी विक्षोभ
इस साल सर्दी के मौसम में पिछले साल से ज्यादा पश्चमी विक्षोभ देखने को मिले हैं। जिसके कारण उत्तर भारत के मैदानी और पहाड़ी इलाकों में लगातार गरज़ और बारिश की गतिविधियां बनी रही और गर्मी का मौसम आने में देर लग रही है।
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पश्चिमी विक्षोभ के कारण बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र
सामान्यतः उत्तरी पहाड़ी इलाको पर बने पश्चिमी विक्षोभ भारत के उत्तरी-मैदानी भागो पर कोई प्रभाव नहीं डालते हैं, लेकिन इस वर्ष लगभग हर एक पश्चिमी विक्षोभ ने उत्तर-पाश्चिमी भारत के हिस्सों में चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र का निर्माण किया। जिससे इस पूरे क्षेत्र में बारिश और अन्य मौसमी गतिविधियां बनी रहीं हैं ।
रेगिस्तानी इलाकों से आती ठंडी हवाएं
मार्च के महीने में भारत के पश्चिमी भाग से आती गर्म हवाओ की वजह से उत्तर भारत में गर्मी देखने को मिलती है, लेकिन इस बार लगातार ठंडी हवाओं के प्रभाव के कारण उत्तर भारत का मौसम ठंडा बना हुआ है।
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तेज़ हवाएं
इस बार सर्दियों में पहाड़ी और मैदानी भागो में किसी मौसमी सिस्टम के मौजूद न होने के बावजूद भी क्षेत्र के ज्यादातर हिस्सों में मार्च के महीने में भी तेज़ ठंडी हवाएं चलti रहीं, हवा की दिशा में आया यह बदलाव भी उत्तर भारत में अभी तक गर्मी न पड़ने का कारक है।
नमी के स्तर में बढ़ोत्तरी
प्री-मानसून सीजन में सामन्यतः मौसम बिलकुल शुष्क हो जाता है। लेकिन इस बार उत्तर भारत में बारिश और नमी की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाने से इन क्षेत्रों में गर्मी की शुरुआत होने में बाधा हो रही है।
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