एक नया पश्चिमी विक्षोभ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उत्तरी हिस्सों में कल 29 नवंबर को पहुंचेगा। यह मौसम प्रणाली ऊपरी वायुमंडलीय चक्रवातीय परिसंचरण (Upper Air Cyclonic Circulation) के रूप में उच्च स्तर पर चिह्नित होगा। वर्तमान में यह विक्षोभ ईरान और आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय है और धीरे-धीरे पूर्व की ओर अफगानिस्तान और पाकिस्तान को पार करता हुआ बढ़ रहा है। इसका प्रभाव कल देर शाम से शुरू होकर 3 दिसंबर 2024 तक रहेगा।
लगातार दो पश्चिमी विक्षोभों का प्रभाव: दरअसल, यह दो पश्चिमी विक्षोभों का प्रभाव है जो जल्दी-जल्दी एक के बाद एक, लगभग एक साथ क्षेत्र से गुजरेंगे। इस वजह से मौसम की गतिविधियां लंबे समय तक जारी रहेंगी। इनकी वजह से 29 नवंबर से शुरू हुई मौसमीय हलचल 3 दिसंबर तक बनी रहेगी।
बर्फबारी और बारिश की संभावना: इस पश्चिमी विक्षोभ (मौसम प्रणाली) से होने वाली बर्फबारी ऊंचे पहाड़ों के 12,000 फीट से ऊपर के ऊंचाई वाले इलाकों तक सीमित रहेगी। निचले पहाड़ी क्षेत्र, जैसे श्रीनगर, अवंतीपोरा और शोपियां में 30 नवंबर से 2 दिसंबर के बीच बहुत हल्की बारिश होने की संभावना है। साथ ही जम्मू, उधमपुर और कटरा जैसे मैदानी क्षेत्रों में आंशिक रूप से बादल छाए रह सकते हैं और कुछ समय के लिए बारिश हो सकती है। वहीं, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के मैदानी इलाकों में इस अवधि के दौरान बारिश की कोई संभावना नहीं है।
उत्तर भारत के तापमान पर प्रभाव: इन पश्चिमी विक्षोभों(मौसम प्रणाली) के कारण पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों के पास की हवा का पैटर्न बदल जाएगा। इस बदलाव के कारण उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों विशेष रूप से दिल्ली में न्यूनतम तापमान में किसी बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है। इन क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान 9°C-10°C के बीच बना रहेगा। दिल्ली में इस अवधि के दौरान न्यूनतम तापमान 10°C से नीचे नहीं जाएगा। ये दोनों दोनों मौसम प्रणाली 4 दिसंबर तक क्षेत्र से साफ हो जाएंगे और उसके बाद तापमान में गिरावट दर्ज की जा सकती है।
कोहरे और धुंध का विस्तार: इस दौरान मैदानी इलाकों में कोहरे और धुंध की तीव्रता और विस्तार बढ़ सकता है। हालांकि, पहली दिसंबर तक मैदानी इलाकों में बारिश की कोई संभावना नहीं है। इसके विपरीत, पर्याप्त धूप दोपहर को खुशनुमा गर्म रखेगी। सुबह के समय हल्की ठंड महसूस होगी, लेकिन सर्दियों की तेज ठंड गायब रहेगी।