केरल और तटवर्ती कर्नाटक में अधिकांश स्थानों पर लगातार गरज के साथ वर्षा हो रही है। इससे संकेत मिलता है कि अब मॉनसून बहुत दूर नहीं। वास्तव में इन दोनों राज्यों में हो रही बारिश मॉनसूनी बारिश प्रतीत हो रही है।
स्काइमेट ने इससे पहले भी कहा था कि मॉनसून के आगमन की घोषणा के लिए हफ्तों और कई बार महीनों के मौसमी अध्ययन की जटिल प्रक्रिया को अपनाया जाता है। केरल में मॉनसून के दस्तक की घोषणा से पहले बारिश, हवा का रूख, आर्द्रता और आउटगोइंग लॉन्गवेब रेडिएशन (ओएलआर) जैसे निश्चित मापदण्डों को ध्यान में रखा जाता है।
केरल, तटवर्ती कर्नाटक और लक्षद्वीप के 14 निश्चित स्थानों पर लगातार दो दिनों से 60% से अधिक क्षेत्रों में बारिश हो रही हो जिसकी मात्र 2.5 मिलीमीटर से अधिक हो तब यह समझा जाता है कि मॉनसून आ गया है। मिनीकॉय, अमिनीदिवी, , त्रिवेन्द्रम, कन्नूर, पुनालूर, अलपुझा, कोट्टायम, कोची, थ्रिसूर, कोझिकोड, थालासेरी, कसारगोड और मंगलोर ही वह 14 निश्चित स्थान हैं जहां लगातार दो दिनों की बारिश के बाद मॉनसून के आगमन का संकेत समझा जाता है।
अब तक के आंकड़ों के अनुसार इन 14 स्थानों के 60% से अधिक क्षेत्र में बीते 2 दिनों से 2.5 मिलीमीटर से अधिक वर्षा दर्ज की जा रही है। मोटे तौर पर हम कह सकते हैं कि इन भागों में मॉनसूनी बारिश जैसी गतिविधियां इन भागों में पहले ही शुरू हो चुकी हैं। नीचे दी गई सारणी में 3 दिनों के वर्षा के आंकड़े हैं जो इस बात को सत्यापित भी करते हैं।
हालांकि हमें मॉनसून की घोषणा के लिए ओएलआर और हवा के रूख जैसे अन्य मापदण्डों के लिए की अभी प्रतीक्षा करनी होगी कि यह मापदंड मॉनसून की घोषणा के लिए अनुकूल हैं या नहीं।
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