केंद्र सरकार भले ही गंगा सफाई के लिए करोड़ों रुपये की स्कीम चला रही हो, लेकिन गंगा सफाई के प्रयास सफल होते नजर नहीं आ रहे हैं। एक अध्यन में पता चला है कि गंगा की सफाई सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। गंगा की सफाई के लिए सरकार की 20,000 करोड़ रुपये की 'नमामि गंगे' स्कीम अपने लक्ष्य को पाने में विफल होती दिख रही है, साफ तो दूर बल्कि गंगा का जल और गन्दा हीं हो गया है।
वाराणसी में स्थित संकट मोचन फाउंडेशन के जुटाए सैंपल के विश्लेषण से तो यही लगता है, कि गंगा के पानी में कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) में भारी बढ़ोतरी हुई है। आपको दें कि पानी की गुणवत्ता को नापने के लिए ये दोनों प्रमुख पैमाने हैं।
मालूम हो कि, सरकार ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट को मई 2015 में शुरू किया था। तब प्रधानमंत्री ने गंगा को निर्मल बनाने के लिए 2019 की समय सीमा तय की थी। लेकिन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीते साल इस समयसीमा को बढ़ाकर मार्च 2020 किया था।
शहर का एनजीओ 'संकट मोचन फाउंडेशन' 1986 से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी द्वारा लॉन्च किये गए गंगा एक्शन प्लान के तहत गंगा के जल क्वालिटी का सर्वे कर रहा है। एसएमएफ नमक संस्था की अपनी लेबोरेटरी है। जहां यह संगठन नियमित आधार पर गंगा जल के सैंपल का परीक्षण करता है।
आपको बता दें कि, पीने के पानी में कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया प्रति 100 मिलीलीटर में 50MPN होना चाहिए, जबकि बाहरी स्नान करने वाले पानी में, यह 500MPN प्रति 100 मिलीलीटर होना चाहिए। वहीं, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होना चाहिए।
एसएमएफ ने तुलसी घाट से जो सैंपल जुटाया है, उसमें गंगा की पानी की गुणवत्ता काफी बिगड़ी दिखती है। यानि कि यहां जल प्रदूषण काफी ज्यादा है।
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आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2016 में फीकल कोलीफॉर्म की संख्या 4.5 लाख (नागवा में ऊँचे स्तर ) से बढ़कर फरवरी 2019 में 3.8 करोड़ और जनवरी 2016 में 5.2 करोड़ (वरुण में निचले स्तर ) से फरवरी 2019 में 14.4 करोड़ हो गई।
BOD स्तर में वृद्धि जनवरी 2016 से फरवरी 2019 तक 46.8-54mg / l से 66-78mg / l तक देखी गई है। इतना ही नहीं, विगलित ऑक्सीजन (DO) का स्तर 6mg / l या अधिक होना चाहिए, लेकिन इस समय के दौरान यह 2.4mg / l से घटकर 1.4mg / l हो गया।
एसएमएफ के प्रेसिडेंट और आईआईटी बीएचयू में प्रोफेसर वीएन मिश्रा ने कहा, साल 2016-फरवरी 2019 के बीच बीओडी लेवल 46.8-54mg/l से बढ़कर 66-78mg/l हो गया है. डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन (DO) 6mg/l या इससे ज्यादा होना चाहिए. इस अवधि में इसका स्तर 2.4mg/l से घटकर 1.4mg/l रह गया है." कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया की आबादी भी पानी में बढ़ गई है। दूसरी ओर, इस दौरान गंगा में सीवेज के निर्वहन में कुछ सुधार देखा गया।
Image Credit: Jansatta
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