दिल्ली में बीते सप्ताहांत के दौरान भीषण गर्मी रही, लोगों ने उच्च आर्द्रता और बढ़ते तापमान का अनुभव किया। दिल्ली में दोनों दिन शनिवार और रविवार को उमस भरी स्थिति बनी रही, साथ ही आसामान में बहुत ही कम बादल और अच्छी मात्रा में धूप दिखाई दी। लगभग 20 दिनों के बाद कल (22 सितंबर को) सफदरजंग के बेस स्टेशन पर दिन में उच्चतम तापमान 36 °C दर्ज किया गया। इससे पहले सप्ताह में 01 और 03 सितंबर को अधिकतम तापमान 36 °C किया गया था। वहीं, दिल्ली क्षेत्र में पीतमपुरा सबसे ज्यादा गर्म रहा, जहां अधिकतम तापमान 37.8°C तक पहुँच गया।
मानसून ट्रफ और मानसून की वापसी: मानसून ट्रफ, जोकि बदलते हवा के पैटर्न के कारण स्पष्ट रूप से दिख नहीं रही है, अपनी सामान्य स्थिति से थोड़ा दक्षिण की ओर दिखाई दे रही है। बता दें, यह स्थिति अगले दो दिनों तक बने रहने की संभावना है, जिसके बाद मानसून ट्रफ दक्षिण की ओर और ज्यादा खिसक सकती है। इसके कारण पूर्वी हवाएं निचले स्तरों पर आ जाएंगी, जिससे आद्रर्ता का स्तर और बढ़ सकता है। हालांकि, 25 से 29 सितंबर 2024 के बीच हल्की-फुल्की रिट्रीटिंग मानसून की बारिश होने की संभावना है, हालांकि यह थोड़े समय के लिए होगी। 27 और 28 सितंबर को इसकी तीव्रता और फैलाव अधिक हो सकता है।
बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव क्षेत्र: मौसम में यह बदलाव बंगाल की खाड़ी (BoB) में बनने वाले एक निम्न दबाव क्षेत्र से जुड़ा होगा। यह निम्न दबाव क्षेत्र आज दिन के अंत में बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी और पश्चिम-मध्य हिस्से में बनने की संभावना है। यह मौसम प्रणाली पूर्व की ओर बढ़ेगी और आंध्र प्रदेश के उत्तरी तट से लेकर उत्तर कोंकण क्षेत्र तक फैले पूर्व-पश्चिम के दबाव क्षेत्र के साथ चलेगी।
दिल्ली पर मौसम प्रणाली का प्रभाव: हालांकि, दिल्ली इस मौसम प्रणाली के बाहरी दायरे में होगी, फिर भी 25 से 29 सितंबर के बीच यहां अवशिष्ट मौसम गतिविधि का अनुभव होगा। वास्तव में, पहाड़ों के पार एक पश्चिमी ट्रफ और उसके प्रेरित परिसंचरण के कारण उत्तर राजस्थान और पाकिस्तान के सीमा क्षेत्रों में एक सक्रिय मौसम प्रणाली बनेगी, जिससे दिल्ली में मानसून की आखिरी बारिश हो सकती है। जिससे तापमान में गिरावट आएगी और विशेष रूप से 26 से 28 सितंबर के बीच मौसम काफी आरामदायक रहेगा।
अवशिष्ट मौसम गतिविधि (Residual Weather Activity) एक ऐसी स्थिति को दर्शाती है जब किसी प्रमुख मौसम प्रणाली का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा होता है, लेकिन उसके बाद भी हल्की या छिटपुट मौसम घटनाएं, जैसे बारिश, बादल छाए रहना, या तेज हवाएं, क्षेत्र में बनी रहती हैं। यह प्रमुख मौसम प्रणाली के खत्म होने के बाद का बचा हुआ प्रभाव होता है, जो कम तीव्रता से जारी रहता है।
उदाहरण के लिए, अगर किसी क्षेत्र में मॉनसून की सक्रियता कम हो रही है, लेकिन हल्की बारिश या बादलों की उपस्थिति बनी रहती है, तो इसे अवशिष्ट मौसम गतिविधि कहा जाता है।