इस प्री मॉनसून सीज़न के दौरान राजधानी बेंगलुरु पूरी तरह से शुष्क रही है। दरअसल, यह सिलसिला बहुत पहले ही शुरू हो गया था, जब सर्दियों के महीने जनवरी और फरवरी में भी सूखा रहता था। जनवरी के पहले सप्ताह में हल्की बारिश और उसके बाद सूखा। फिलहाल, बेंगलुरु में पानी का संकट जारी रहने की संभावना है, क्योंकि अप्रैल में राहतभरी बारिश की भी कोई उम्मीद नहीं है।
बेंगलुरु में बारिश की 99% कमी: इससे पहले, प्री-मानसून प्रायद्वीपीय भारत ट्रफ़ ने पिछले सप्ताह सक्रिय होने के संकेत दिखाए थे। कुछ समय के लिए मौसम में बदलाव आया था। हालाँकि, बेंगलुरु शहर आज तक जलविहीन है। बेंगलुरु ग्रामीण और शहरी दोनों में वर्षा की कमी 99% है। पठारी शहर के आसपास के कई अन्य हिस्सों का भी यही हाल है और भविष्य में जल्द इस स्थिति के बेहतर होने की संभावना नहीं है।
इन क्षेत्रों में भी मौसम की मार: प्रायद्वीपीय तटरेखा के दोनों ओर प्रतिचक्रवात (anticyclone) ने मौसमी ट्रफ को उसकी सामान्य स्थिति से बहुत दूर पश्चिम की ओर धकेल दिया है। मौसम की जो भी गतिविधि होगी, वह सिर्फ केरल, तटीय कर्नाटक, उत्तरी कर्नाटक और मध्य महाराष्ट्र राज्य तक ही सीमित रहेगी। बेंगलुरु, मैसूरु, मांड्या, हसन, चामराजनगर और तुमकुर भी मौसम की मार से जूझ रहे हैं।
बारिश नहीं होने से भीषण गर्मी: लंबे समय से बारिश नहीं होने के कारण गर्मी बढ़ गई है और पारा औसत मानदंडों से ऊपर चला गया है। बेंगलुरु में गर्मी ज्यादा बढ़ने वाली है, सप्ताहांत के आसपास तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के उच्चतम स्तर तक पहुंच सकता है। अप्रैल का महीना मई की तुलना में अधिक गर्म माना जाता है। इस समय, बेंगलुरु शहर चरम गर्मी से गुजर रहा है। हालांकि, मई के पहले सप्ताह के बाद काफी हद तक राहत मिलने की संभावना है।