वर्ल्ड ओशियन डे का कॉन्सेप्ट सबसे पहले 1992 में कनाडा की सरकार द्वारा रियो डि जेनेरियो में अर्थ समिट के दौरान प्रस्तावित किया गया था। इसे यूनाइटेड नेशन जनरल असेम्बली ने दिसंबर 2008 में पास किया। इसके बाद यूएन द्वारा हर साल 8 जून को पूरे विश्व में वर्ल्ड ओसियन डे मनाया जाने लगा।
जल के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। महासागरों की महत्व और इसके संरक्षण को बताने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल 8 जून को विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day 2019) मनाया जाता है। इस बार का थीम है ‘एक साथ मिलकर हम अपने समुद्रों को बचा सकते हैं’(Together we can protect and restore our Ocean)।
इसका मकसद लोगों को समुद्र में बढ़ रहे प्रदूषण और उससे होने वाले खतरों के बारे में जागरूक करना है। बता दें कि महासागरों और अपार जल संपदा के कारण ही पृथ्वी को वाटर प्लैनेट भी कहा जाता है।
आज पृथ्वी ही नहीं बल्कि महासागरों के लिए भी सबसे बड़ा खतरा है प्लास्टिक। प्लास्टिक व अन्य प्रदूषण की वजह से समुद्र का पानी प्रदूषित होता जा रहा है। यू के सरकार द्वारा हाल में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि समुद्र में प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण की वजह से प्रत्येक वर्ष 10 लाख से ज्यादा पक्षी और एक लाख से ज्यादा समुद्री जीवों की मौत हो रही है।
हम सांस लेने के लिए जिस ऑक्सीजन का प्रयोग करते हैं, उसकी दस फीसद मात्रा हमें समुद्र से ही प्राप्त होती है। समुंद्र में मौजूद सूक्ष्म वैक्टीरिया ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं, जो पृथ्वी पर मौजूद जीवन के लिए बेहद जरूरी है। समुद्र में प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण की वजह से ये वैक्टीरिया पनप नहीं पा रहे हैं। जिसके कारण समुद्र में ऑक्सीजन की मात्रा भी लगातार घट रही है। यह पशु-पक्षियों के साथ-साथ इंसानों के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है।
जहरीली होगी हवा
हर साल उत्पादित होने वाले कुल प्लास्टिक में से महज 20 प्रतिशत ही रिसाइकिल हो पाता है। जिसमें 39 फीसद जमीन के अंदर दबाकर नष्ट किया जाता है और 15 फीसद जला दिया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्लास्टिक के जलने से उत्सर्जित होने वाली कार्बन डायऑक्साइड की मात्रा 2030 तक तीन गुनी हो जाएगी, जिससे ह्रदय रोग के मामले में तेजी से वृद्धि होने की आशंका है।
सिंगल यूज होने वाली प्लास्टिक खतरनाक
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ का लक्ष्य 2030 तक स्ट्रॉ और पॉलिथिन बैग जैसी सिर्फ एक बार प्रयोग की जा सकने वाली प्लास्टिक की वस्तुएं को इस्तेमाल से हटाने का है। वैज्ञानिकों के अनुसार एक बार यूज होने वाली प्लास्टिक सबसे ज्यादा खतरनाक है। प्लास्टिक कचरे में सबसे ज्यादा मात्रा सिंगल यूज प्लास्टिक की ही होती है।
2050 तक मछलियों से ज्यादा होगा प्लास्टिक
हर साल तकरीबन 10.4 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा समुद्र में मिल जाता है। 2050 तक समुद्र में मछली से ज्यादा प्लास्टिक के टुकड़े होने का अनुमान है। प्लास्टिक के मलबे से समुद्री जीव बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। कछुओं की दम घुटने से मौत हो रही है और व्हेल इसके जहर का शिकार हो रही हैं। प्रशांत महासागर में द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच समुद्र में कचरे का सबसे बड़ा ठिकाना है। यहां पर 80 हजार टन से भी ज्यादा प्लास्टिक जमा हो गया है।
Image Credit: East Falls Local
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