[Hindi] जतिन सिंह, एमडी स्काइमेट: पश्चिमी राजस्थान और पश्चिमी पंजाब से मॉनसून की वापसी शुरू, बंगाल की खाड़ी में उठेगा निम्न दबाव, पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में इस सप्ताह भी अच्छी बारिश के आसार

September 28, 2020 3:41 PM | Skymet Weather Team

इस सप्ताह मौसम और मॉनसून से जुड़ी सबसे बड़ी घटना है मॉनसून की वापसी की शुरुआत। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2020 की पश्चिमी राजस्थान और पंजाब के पश्चिमी भागों से 28 सितंबर, सोमवार को वापसी शुरू हो गई। जैसा कि स्काइमेट ने पहले ही कहा था इस बार मॉनसून दीर्घावधि औसत वर्षा 880.6 मिमी की तुलना में 109% पर सम्पन्न होगा। यह लगातार दूसरा सामान्य से बेहतर मॉनसून होने जा रहा है। इससे पहले लगातार दो वर्षों में सामान्य से ज़्यादा मॉनसून वर्षा लगभग 60 साल पहले 1958 और 1959 में देखने को मिली थी।

वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी -23.9% रही जो पिछले चार दशकों में सबसे खराब अर्थव्यवस्था की स्थिति को दर्शाता है। लेकिन कोविड-19 महामारी के बीच डगमगाती अर्थव्यवस्था को कृषि क्षेत्र का सहारा मिला और अच्छी रबी फसलों के चलते पहली तिमाही में कृषि की विकास दर 3.4% दर्ज की गई, जो एक उत्साहजनक स्थिति है। बेहतर मॉनसून वर्षा के चलते खरीफ फसलों की बुआई में 14% की वृद्धि हुई है। खरीफ बुआई में वृद्धि भी अर्थव्यवस्था को संबल देने में अहम भूमिका निभाएगी।

हालांकि विश्लेषकों का एक पक्ष ऐसा भी है जो यह दावा करता है कि बुआई में जो वृद्धि हुई है उसके लिए बेहतर मॉनसून और कृषि के लिए सरकार के आर्थिक पैकेज में पर्याप्त वृद्धि के चलते हुए है। ऐसे में यह अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूत कर पाएगी, जो कि कोविड महामारी के कारण प्रभावित हुई है। पूर्ण देश बंदी के कारण शहरों और अपने-अपने कार्यक्षेत्रों से प्रवासी मजदूरों की अपने गाँव वापसी की भी इसमें भूमिका देखी जा रही है। मजदूरों की वापसी के चलते पहले की परती और असिंचित भूमि पर खेती हुई है जिससे कुल खरीफ बुआई में वृद्धि हुई है। सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि जून और जुलाई 2019 में किसानों के रूप में नियोजित व्यक्तियों की संख्या जहां तकरीबन 11 करोड़ थी वहीं 2020 के इन्हीं महीनों में लगभग 13 करोड़ हो गई। ग्रामीण बेरोजगारी दर में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अप्रैल, मई और जून के महीनों में वृद्धि देखी गई। किसान क्षेत्र जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) में लगभग 15% का योगदान देता है। जीवीए में सिर्फ 1% की वृद्धि के लिए, कृषि को 6% की वृद्धि करनी होगी। वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के दौरान कृषि क्षेत्र में 3.4% की दर से वृद्धि का अनुमान लगाया गया था। अगर बाकी बची तिमाहियों में इसी दर से वृद्धि होती है तो यह अर्थव्यवस्था को उभर में सफल नहीं होगी।

मॉनसून की 28 सितंबर को वापसी की शुरुआत हो गई है और अगले दो-तीन दिनों में ही यह उत्तर भारत के अधिकांश भागों को अलविदा कह देगा। इस बीच 29 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में एक ताज़ा कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। हालांकि यह मध्य भारत की तरफ नहीं आएगा और वर्षा गतिविधियां मुख्यतः पूर्वी व उत्तर-पूर्वी भागों तक ही सीमित होंगी। दिल्ली में इस सप्ताह प्रदूषण नहीं पहुंचेगा चिंताजनक स्तर पर।

उत्तर भारत

संभावना है कि उत्तर भारत के राज्यों से इस सप्ताह मॉनसून की वापसी हो जाएगी। सप्ताह के अंत तक राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली एनसीआर समेत सभी उत्तरी राज्यों से मॉनसून की वापसी हो जाएगी। मॉनसून वापसी के साथ राजस्थान के कई जिलों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री से भी ऊपर रिकॉर्ड किया जा सकता है। हरियाणा, पंजाब और दिल्ली एनसीआर के भी कुछ हिस्सों में सामान्य से तापमान के साथ दिन गर्म हो जाएंगे। इस बीच एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ जम्मू और कश्मीर के उत्तरी भागों को 28 से 30 सितंबर के बीच प्रभावित करेगा। इससे जम्मू और कश्मीर में छिटपुट बारिश हो सकती है। इस अवधि के दौरान पूर्वी राजस्थान में भी हल्की और बारिश होने की संभावना है।

पूर्व और पूर्वोत्तर भारत

इस सप्ताह बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने के कारण बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में कुछ स्थानों पर गर्जना के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में इस सप्ताह के पहले हिस्से में मध्यम के साथ एक-दो स्थानों पर भारी बारिश होगी। सप्ताह के दूसरे भाग में बारिश की गतिविधियां पूर्वोत्तर भारत में बढ़ सकती हैं।

मध्य भारत

सप्ताह के दौरान इन भागों में किसी भी विशेष मौसमी हलचल की उम्मीद नहीं है। बारिश मध्य भारत के कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित रहेगी खासकर महाराष्ट्र कुछ इलाकों में बारिश हो सकती है। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बहुत कम मौसमी हलचल की संभावना है। महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों, मध्य प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों, गुजरात और ओडिशा के कुछ भागों में इस सप्ताह के दौरान हल्की से मध्यम बारिश और गरज के साथ बौछारें गिरने की संभावना है।

दक्षिण प्रायद्वीप

तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तटीय तमिलनाडु और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में सप्ताह के पहले भाग में हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं। जबकि सप्ताह के उत्तरार्ध के दौरान दक्षिणी राज्यों में मौसमी गतिविधियां बहुत कम हो जाएंगी। हालांकि तटीय कर्नाटक और केरल में पूरे सप्ताह रुक-रुक कर हल्की बारिश होती रह सकती है।

दिल्ली एनसीआर

राष्ट्रीय राजधानी में इस पूरे सप्ताह भी पिछले हफ्ते की तरह ही हमें शुष्क मौसम देखने को मिलेगा। अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाएँ चलती रहेंगी जिससे दिल्ली-एनसीआर के लोगों को गर्मी का सामना करना पड़ेगा। जैसा कि उत्तर भारत से मॉनसून ने वापसी की शुरुआत कर दी है, जल्द ही दिल्ली और एनसीआर को भी यह अलविदा कह जाएगा।

चेन्नई

सप्ताह के पहले भाग के दौरान तटीय शहर चेन्नई में हल्की से मध्यम बारिश और गरज के साथ बारिश होने की संभावना है। सप्ताह के दूसरे भाग में में मौसम गर्म और आर्द्र हो जाएगा। आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे। अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमशः 36 डिग्री और 28 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा।

दिल्ली प्रदूषण

राष्ट्रीय राजधानी में सितंबर के मध्य तक अधिकांश स्थानों पर प्रदूषण संतोषजनक स्तर पर था। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रदूषण के स्तर में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। वर्तमान में दिल्ली एनसीआर के अधिकांश स्थान मध्यम श्रेणी में हैं। एक-दो स्थान ऐसे हैं जहां हवा में प्रदूषण कण अधिक होने के चलते वायु गुणवत्ता खराब हुई है।

बढ़ते प्रदूषण के कई कारण हो सकते हैं। जैसे: दक्षिण-पश्चिमी और पश्चिमी शुष्क हवाएं जो राजस्थान के गर्म क्षेत्रों की तरफ से आ रही हैं। इन हवाओं के साथ धूल के कण भी आते हैं जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। पंजाब के कुछ जिलों में पराली जलाने का काम भी शुरू हो गया है। इससे उठने वाला धुआँ बीच-बीच में हवाओं के उत्तर-पश्चिमी होने के कारण दिल्ली-एनसीआर तक पहुंचने लगा है। हालांकि खेतों में पराली जलाने का काम अभी खतरनाक स्तर पर नहीं पहुंचा है।

इस सप्ताह के दौरान दिल्ली प्रदूषण में कमी की उम्मीद है क्योंकि हवा की गति मध्यम से तेज़ रहेगी जिससे दिल्ली के ऊपर हवाओं में अधिक समय तक टिक नहीं पाएगा। लेकिन अक्टूबर के मध्य तक आते-आते प्रदूषण चिंताजनक स्तर पर पहुँच सकता है क्योंकि उस दौरान एक तरफ पराली जलाने का काम तेज़ हो जाएगा, तापमान में गिरावट शुरू हो जाएगी और हवा की रफ्तार कम हो जाएगी।

Image credit: ZeeNews

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