मौसम के बदलाव के साथ कई बीमारियों का प्रकोप बढ़ना और कई बीमारियों से छुटकारा मिलना आम है। बीते कुछ वर्षों से दिल्ली सहित समूचे भारत में डेंगू और चिकनगुनिया के साथ-साथ कई तरह के संक्रामक बुखार का प्रकोप देखने को मिल रहा है। मॉनसून सीज़न से पहले ही यह बुखार शुरू होते हैं और मॉनसून खत्म होने तक अस्पतालों में भारी संख्या में संक्रमित मरीजों का पहुंचना जारी रहता है।
इस वर्ष चौंकने वाली बात यह है कि मॉनसून अभी दूर है लेकिन दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया के मामले सामने आने लगे हैं। दिल्ली के अस्पतालों में 8 अप्रैल तक चिकनगुनिया के 79, डेंगू के 24 और मलेरिया के 13 मरीजों की पहचान की गई है। वर्ष 2012 के बाद से इस अवधि में यह सबसे अधिक संख्या है। चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार इस समय दिल्ली में मच्छरों की संख्या चरम पर है जिसके चलते संक्रामक बुखारों का ख़तरा अभी से दिखाई देने लगा है।
दिल्ली और आसपास के शहरों में 4-5 अप्रैल को हुई बारिश और उसके बाद उत्तर-पश्चिम से आ रही ठंडी हवाओं के चलते तापमान में गिरावट आई है जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। हालांकि जल्द ही मौसमी परिदृश्य बदलने वाला है जिससे डेंगू या चिकनगुनिया सहित अन्य मच्छर जनित रोगों के मामलों में कमी आएगी। लेकिन वर्तमान आंकड़े इस बारे में भयभीत करने के लिए काफी हैं कि संक्रामक बुखारों का प्रकोप इस बार भी चुनौती बनने वाला है।
गौरतलब है कि दिल्ली और आसपास के हिस्सों में अधिकतम तापमान बीते कई दिनों से 35 डिग्री से नीचे बना हुआ है जो मच्छरों के प्रजनन और इनके फैलने के लिए अनुकूल है। लेकिन अगले 24 घंटों से तापमान में बढ़ोत्तरी का क्रम शुरू होगा क्योंकि ठंडी हवाएँ बंद हो जाएंगी और गर्म हवाएँ चलेंगी जिससे तापमान सप्ताह के अंत तक 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुँच सकता है। उल्लेखनीय यह भी है कि 40 डिग्री से ऊपर के तापमान में मच्छरों का जीवित रहना मुश्किल होता है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2016 में चिकनगुनिया के 7760 और 4431 डेंगू के मामले सामने आए थे। जून से सितंबर के बीच मॉनसून के चलते नमी अधिक होती है और तापमान कम रहता है जो एडीज़ सहित संक्रामक मच्छरों के लिए अनुकूल होता है। ऐसे में समय रहते मॉनसून पूर्व सरकार को कमर कसने की ज़रूरत है। दिल्ली की जनता को भी इस मुहिम में साथ देना होगा।
Image credit: DNA India
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