दिल्ली में अभी तक सर्दियों की बारिश ने दस्तक नहीं दी है, जिसके परिणामस्वरूप गर्म सर्दियों और उच्च प्रदूषण के स्तर सामने आए हैं। मगर अब मौसम में अब कुछ बदलाव हुए हैं और हम राष्ट्रीय राजधानी पर कुछ मौसमी गतिविधि की उम्मीद कर सकते हैं।
स्किमेट मौसम के अनुसार, जम्मू-कश्मीर पर एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ देखा जा सकता है, जिसके चलते राजस्थान और इससे सटे हुए पंजाब और हरयाणा पर एक हवाओं का चक्रवात विकसित हुआ है। नतीजतन, दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों में हल्की बारिश की संभावना जताई जा सकती है, साथ ही आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे।
हम लगातार यह कहते आएं हैं कि दिल्ली प्रदूषण से किसी भी बड़ी राहत के लिए बारिश अंतिम समाधान है। हालांकि, हमें डर है कि ये संभावित बारिश प्रदुषण में कोई राहत नहीं दे पाएगी, जो 'वैरी पुअर' श्रेणी में जारी रहेगा।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, बारिश की तीव्रता हल्की होगी और यह कुछ ही जगहों तक सीमित रहेगी। इस प्रकार, ये बारिश प्रदूषण के तत्व को हवाओं में हटाने में सक्षम नहीं होगी। जब तक भारी और लगातार बारिश न हो, हम प्रदूषण की स्थिति में कोई सुधार नहीं देखेंगे।
इसके अलावा, प्रभावित मौसम प्रणालियों ने हवाओं की दिशा को भी बदल दिया है और अब उत्तर-पश्चिमी ठंडी और शुष्क हवाएँ बदलकर गर्म और नम दक्षिण-पूर्वी हवाएं हो गयी है।
इसके मद्देनजर, सोमवार की सुबह दिल्ली में न्यूनतम तापमान में हलकी बढ़ोतरी देखी गयी जो की 8.8 डिग्री सेल्सियस पर मापा गया।
गर्म और नम हवाओं के चलते, अगले दो दिनों में भी रात के पारे की बढ़ने की संभावना है।
13 दिसंबर तक, हम पश्चिमी विक्षोभ और इससे विकसित हवाओं का चक्रवात की कमज़ोर होने की उम्मीद है। एक बार फिर ठंडी उत्तर-पश्चिमी हवाओं सामान्य रूप से मैदानी इलाकों में चलने लगेंगी। हालांकि, इस बार, ये हवाएं प्रकृति में बहुत अधिक ठंडी होंगी क्योंकि वे पश्चिमी हिमालय से यात्रा करेंगी जो ताजा बर्फ और बारिश भी दर्ज करेंगे।
इसी दौरान, सर्दियों उत्तर पश्चिमी मैदानों अपनी पकड़ को मजबूत करेंगी और न्यूनतम तापमान में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की जाएगी। 18 दिसंबर तक, रात के तापमान नए स्तर तक गिरने की संभावना है जो की कम से कम 6 डिग्री सेल्सियस तक आ जाएंगे।
प्रदूषण में मामूली कमी भी देखी जा सकती है लेकिन फिर से कोई बड़ी राहत की संभावना नहीं है क्योंकि हवाओं की गति में तेज़ी नहीं आएगी।
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