[Hindi] अमृतसर, अंबाला, दिल्ली मेरठ, लखनऊ, वाराणसी में घने कोहरे और शीतलहर का सितम

January 18, 2021 1:30 PM | Skymet Weather Team

वर्ष 2020-21 की सर्दी के मौसम में उम्मीद के मुताबिक कड़ाके की सर्दी का प्रकोप लगातार जारी है। इस सर्दी पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान तथा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत और गंगा के मैदानी इलाकों में ज़बरदस्त सर्दी देखने को मिल रही है। उत्तर भारत में मैदानी इलाकों के अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में भी कई जगहों पर उम्मीद और सामान्य से अधिक सर्दी के चलते सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। श्रीनगर समेत जम्मू कश्मीर में कई जगहों पर न्यूनतम तापमान लगातार शून्य से नीचे रिकॉर्ड किया जा रहा है जिसके कारण लोग बेहाल है।

इस बीच 17 जनवरी को उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और गंगा के मैदानी क्षेत्रों में तापमान में कुछ बढ़ोतरी दर्ज की गई थी क्योंकि उत्तर पश्चिमी सर्द हवाओं की रफ्तार मंद पड़ गई थी। लेकिन 18 जनवरी से फिर हवाओं की रफ्तार बढ़ने वाली है और 18 से लेकर 21 जनवरी के बीच मध्यम से तेज रफ्तार की उत्तर-पश्चिमी बर्फीली हवाएं पंजाब में अमृतसर, जालंधर, पठानकोट, शहीद भगत सिंह नगर, लुधियाना, पटियाला, बरनाला से लेकर राजस्थान में चुरू, गंगानगर, भरतपुर, अलवर, झुंझुनू, हरियाणा में अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, यमुनानगर, पानीपत, सोनीपत, दिल्ली-एनसीआर, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा, मथुरा, लखनऊ, बहराइच प्रभावित होंगे।

19 जनवरी से यह बर्फीली हवाएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश को पार करते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार तक पहुंचेगी जिसके कारण इन क्षेत्रों में भी तापमान और गिर जाएगा तथा सर्दी का प्रभाव और बढ़ जाएगा।

इस बीच पंजाब से बिहार और पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में विशेषकर असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश में कई जगहों पर मध्यम से घना कोहरा अगले तीन-चार दिनों तक छाता रहेगा जिसके कारण रेल, सड़क और हवाई यातायात बाधित होगा। हालांकि 18 से 21 जनवरी के बीच हवाओं की बढ़ती रफ्तार कोहरे के असर को कुछ कम करेगी लेकिन 22 जनवरी से हवाओं की रफ्तार में कमी आएगी जिससे कोहरा फिर से बढ़ सकता है।

आपको बता दें कि एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में 22 जनवरी के आसपास आने वाला है जिसके चलते 22 से 25 जनवरी के बीच उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों में व्यापक वर्षा और हिमपात की गतिविधियां संभावित हैं।

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