
जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बारिश और बर्फबारी देने के बाद अभी एक पश्चिमी विक्षोभ आगे निकला भी नहीं था और पीछे से एक नया तथा काफी सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालयी राज्यों पर पहुँच चुका है। इसका प्रभाव उत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में अगले 3 दिनों तक यानि 25 से 27 फरवरी के बीच देखने को मिलेगा। यह डबल्यूडी हिमाचल प्रदेश में भी बारिश और बर्फबारी देगा। अनुमान उत्तराखंड के लिए भी हैं लेकिन उत्तराखंड में जम्मू कश्मीर और हिमाचल की तुलना में कम असर दिखाई देगा।
उत्तर भारत के इन पर्वतीय राज्यों में बारिश और बर्फबारी के साथ-साथ कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की गतिविधियां भी हो सकती हैं। मौसम का सबसे उग्र प्रदर्शन 26 फरवरी को होने की आशंका है।
पिछले कुछ दिनों से एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों से होकर गुज़र रहे हैं लेकिन यह सिस्टम पर्वतीय राज्यों में इस साल 1 जनवरी से 24 फरवरी के बीच हुई बारिश और बर्फबारी में रह गई कमी की भरपाई नहीं कर पा रहे हैं। जनवरी और फरवरी में पहाड़ों पर काफी अच्छी मात्रा में वर्षा और बर्फबारी होती है। इन दो महीनों में फरवरी अधिक वर्षा वाला होता है। लेकिन 1 जनवरी से अब तक पहाड़ों पर औसत से कम बारिश हुई है और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इन सिस्टमों की निरंतरता में कमी रही है।
इस साल 1 जनवरी से 24 फरवरी के बीच हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 69% कम वर्षा और बर्फबारी हुई। उत्तराखंड में 55% की कमी रही और जम्मू कश्मीर में 49% कम वर्षा हुई। वर्तमान समय में शुरू हुई बारिश और बर्फबारी इस कमी की कुछ हद तक भरपाई कर सकती है।
भारी बर्फबारी को देखते हुए आशंका है कि कुछ राजमार्गों और कई संपर्क मार्गों पर आवागमन अवरुद्ध हो जाए। यही नहीं बर्फबारी बंद होने के बाद भारी मात्र में जमा बर्फ के कारण मध्यम और ऊंचाई वाले कुछ इलाकों में अवलांच यानि हिमस्खलन की घटनाएँ भी हो सकती हैं। बर्फबारी कई दिनों तक चलेगी जिससे पहाड़ों पर दिन का तापमान गिरते हुए फिर से 10 डिग्री से नीचे पहुँच जाएगा और न्यूनतम तापमान शून्य के आसपास आ जाएगा। गुलमर्ग, कुलगाम, पहलगाम और मनाली जैसे पर्यटन स्थलों पर तापमान जमाव बिन्दु पर पहुँच सकता है।
Image credit: The Economic Times
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