उत्तर प्रदेश के पश्चिम भागों में मॉनसून हर साल 20 जून से 25 जून के बीच आ जाता है। लेकिन इस बार पूरे देश में मॉनसून की रफ्तार में सुस्ती देखने को मिल रही है। उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों में गोरखपुर और बहराइच तक मॉनसून का आगमन हो चुका है। लेकिन प्रयागराज (इलाहाबाद), कानपुर और लखनऊ सहित राज्य के बाकी मध्य भागों में अभी भी मॉनसून की प्रतीक्षा जारी है।
मॉनसून 20 जून से काफी तेज़ी से आगे बढ़ा और महाराष्ट्र के भागों को पार करते हुए मध्य प्रदेश और गुजरात में भी कुछ हिस्सों में इसने दस्तक दे दी। साथ ही पूर्वी भारत में भी मॉनसून ने पिछले दिनों रफ्तार पकड़ी और वाराणसी, गोरखपुर से आगे बहराइच तक आ गया। लेकिन अब स्थितियाँ बदल गई हैं। मॉनसून फिर से सुस्त हो गया है।
अगले तीन दिनों तक मॉनसून में किसी तरह की प्रगति होने की संभावना नहीं है। पश्चिम में मेरठ, मुरादाबाद, अलीगढ़, आगरा और मथुरा को तो लंबा इंतज़ार करना है, पूरब और मध्य में प्रयागराज, कानपुर, बांदा, झाँसी को भी मॉनसून के लिए अभी और इंतज़ार करना होगा। पूर्वी क्षेत्रों में अगले 4-5 दिनों के बाद मॉनसून दस्तक दे सकता है और बारिश देखने को मिल सकती है। जबकि पश्चिमी भागों में अभी हफ्ते से अधिक का समय लगेगा।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 29 जून को बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित होगा जिसके प्रभाव से मॉनसून आगे बढ़ेगा। उत्तर प्रदेश के मध्य भागों में जुलाई के शुरुआती दिनों में यानि 2-4 जुलाई के बीच मॉनसून आ सकता है जबकि पश्चिमी हिस्सों में पहले हफ्ते के आखिरी दिनों में मॉनसून का आगमन होगा।
उत्तर प्रदेश में अधिकांश स्थानों पर अब तक बारिश सामान्य से काफी कम हुई है। यहाँ तक कि जिन भागों में मॉनसून का आगमन हो गया है उन भागों में भी बारिश सामान्य से पीछे है। आंकड़ों में देखें तो पूर्वी उत्तर में 1 जून से 26 जून तक सामान्य से 44% कम 43 मिमी बारिश हुई है। जबकि अब तक यहाँ 78 मिमी बारिश होनी चाहिए थी। पश्चिमी भागों में हालात और खराब हैं क्योंकि यहाँ सामान्य से 62% कम महज़ 21 मिमी बारिश हुई है।
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