मॉनसून की वापसी से ही भारतीय समुद्र में चक्रवाती तूफान के लिए रास्ता बन जाता है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों ही इसके गठन के लिए दो मुख्य घाटियां हैं। यह तूफान काफी खतरनाक होते है जो कि जीवन और संपत्ति दोनों के लिए खतरा पैदा करते हैं।
भारतीय भू-भाग को प्रभावित करने के लिहाज़ से अगर देखें तो तबाही के मामले में बंगाल की खाड़ी में बनने वाले चक्रवात ज्यादा सक्रिय होती है। अधिकांशतः पूर्वी तटीय इलाका इन तूफानों की चपेट में रहता है। वहीं, दूसरी ओरअरब सागर में बनने वाले चक्रवातज्यादातर समय भारतीय भू-भाग के समीप से गुजरते गुए सोमालिया, यमन और ओमान को प्रभावित करता है। हालाँकि, यहाँ बनने वाले तूफान भी कई बार गुजरात और महाराष्ट्र को प्रभावित करते हैं।
हाल ही में, दुनिया भर में महासागरों में तूफानों में वृद्धि देखी गई है, जिसमें भारतीय समुद्रों मेंसाल 2018 के दौरान कुल सात चक्रवात देखे गए। इसमें दो चक्रवात प्री मॉनसून सीजन में और दो पोस्ट मॉनसून सीज़न में देखे गए।
साल 2010 से लेकर अब तक बने चक्रवाती तूफ़ान के नाम और उसके बारे में विस्तृत जानकारी
साल 2010:20 से 23 अक्टूबर के बीच, म्यांमार तट से दूर बंगाल की खाड़ी में एक डीप डिप्रेशन बना था और यह कैट 4 के तूफान के बराबर था। इसकी एक छोटी सी समुद्री यात्रा थी, जिसमें इसने फिर से प्रवेश किया और म्यांमार के ऊपर लैंडफॉल बनाया, लेकिन भारतीय भारतीय भू-भाग में यह प्रवेश नहीं किया था।
साल 2011:चक्रवात कीला का जो कि 29 अक्टूबर से 4 नवंबर तक को अरब सागर में बना हुआ था। यह तूफान ओमान और मस्कट को 2-4 नवंबर के बीच बहुत कम समय के लिए प्रभावित किया था। इस तूफान का असर भी भारतीय भू-भाग पर नहीं देखा गया।
साल 2012:चक्रवात मुरजन का 22 अक्टूबर को बना था और 26 अक्टूबर तक सक्रिय रहा। इसके बाद यह भारतीय तट रेखा को पार करते हुए पश्चिम दिशा में आगे बढ़कर अमिनी दिवी पर डिप्रेशन के रूप में विकसित हुआ।
साल 2013:6 अक्टूबर को बना चक्रवात फीलिन। यह एक लंबी समुद्री यात्रा वाला घातक तूफान था, जो कि 2007 के साइडर के बाद सबसे घातक चक्रवात था। यह कैट 5 तूफान के बराबर था और यह थाईलैंड में बने डिप्रेशन का अवसाद था। जो फिर से मजबूत होकर अंडमान सागर में दिखाई दिया। चक्रवात फालिन ने ओडिशा के गोपालपुर को प्रभावित किया जो कि राज्य के लिए 30 वर्षों में सबसे बड़ी निकासी थी।
साल 2014:चक्रवात हुदहुद का नाम ओमान द्वारा दिया गया था, जिसका अर्थ होता है 'एक पक्षी'। यह चक्रवात 7 अक्टूबर को बना और 14 अक्टूबर तक सक्रिय रहा। चक्रवात फीलिन और इसके बनने कि तारीख लगभग एक ही थी। चक्रवात हुदहुद का प्रभाव विशाखापत्तनम पर ज्यादा भारी बना रहा था। चक्रवात फैलिन की तरह ही इस तूफान ने भी उसी तीव्रता के साथ गहरी यात्रा की थी, जिसके परिणामस्वरूप 46 लोगों की मृत्यु हुई और 3 लाख 50 हजार लोगों को उनके स्थानों से निकाला गया था ।
साल 2015:चक्रवात चपला का 28 अक्टूबर को अरब सागर में बना था, उसके बाद चक्रवात मेघ आया था। साल 2015 केवल एक ऐसा वर्ष था जब बंगाल की खाड़ी में कोई चक्रवात नहीं बना।
साल 2016:चक्रवात क्यांत 21 अक्टूबर को बना था। एक अनोखा और अजीबोगरीब तूफान था। यह बंगाल की खाड़ी के पूर्वी मध्य भागों में एक डिप्रेशन के रूप में बना। जो किम्यांमार की ओर बढ़ रहा था लेकिन इसने अपना रास्ता बदल लिया और पश्चिमी दिशा की ओर बढ़ते हुए भारत के पूर्वी तटीय इलाकों में आ गयाथा। जैसे-जैसे यह मुख्य-भूभाग के करीब आ रहा था। उसके बाद अंतर्देशीय शुष्क हवा के कारण, नमी कम होने लगी और यह समुद्र में ही निम्न दवाब क्षेत्र के रूप में कमजोर हो गया।
साल 2017:29 नवंबर को चक्रवात ओखी का बना और एक लंबी समुद्री यात्रा हुई, लेकिन इसने कभी भी लैंडफॉल नहीं बनाया, कन्याकुमारी के समीप से होते हुए अरब सागर की ओर रुख कर लिया, जिससे केरल और तमिलनाडु को नुकसान पहुंचा था।
साल 2018:अरब सागर में 10 अक्टूबर को बना चक्रवात लुबान। इसी तरह बंगाल की खाड़ी में साइक्लोन तितली बना था और फिर दूर चला गया। चक्रवात तितली ने 11 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश के पूर्वी तटीय इलाकों को ;कैट 2 तूफान' के रूप में प्रभावित किया था, लेकिन इसने आंध्र प्रदेश की तुलना में ओडिशा में अधिक जानें गई थी।
साल 2017 को छोड़कर अब तक लगभग सभी साल 'तूफान'अक्टूबर में ही आने शुरू हुए हैं। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अक्टूबर वह महीना है जब दोनों घाटियों में चक्रवात बनने शुरू हो जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अक्टूबर में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं तथाखतरनाक चक्रवात का मौसम जल्द ही शुरू होने की संभावनाहै ।
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Image Credit: Free Press Journal
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