एक नया पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत की तरफ आता दिखाई दे रहा है, जो इस समय मध्य-पश्चिम पाकिस्तान और उसके आसपास के भागों पर स्थित है। अगले 2 दिनों के बाद से इसके उत्तर भारत को प्रभावित करने की संभावना है।
इस बीच एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ इस समय उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों के पास है। मॉनसून की अक्षीय रेखा भी हिमालय की तराई के करीब बनी हुई है। इन दोनों के संयुक्त प्रभाव से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कुछ स्थानों पर मॉनसूनी बौछारें लोगों को भिगो रही हैं। हालांकि यह पश्चिमी विक्षोभ पूर्व में आगे निकल रहा है। हालांकि यह जाते जाते भी अगले 24 से 36 घंटों के बीच उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों को कुछ स्थानों पर बारिश देता रहेगा।
वर्तमान पश्चिमी विक्षोभ के चलते उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों में बीते 24 घंटों के दौरान कुछ प्रमुख स्थानों पर हुई बारिश के आंकड़े देखें तो सबसे अधिक बारिश जम्मू क्षेत्र के कटरा में हुई, जहां मौसम केंद्र ने 52 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की। देहारादून में 26 मिमी, बिलासपुर में 19 मिमी, हरिद्वार में 11 मिमी, धर्मशाला में 4.4 मिमी और मुक्तेश्वर में 4 मिमी बारिश दर्ज की गई है।
पश्चिम से आने वाले इस मौसमी सिस्टम के भारत पर असर की बात करें तो यह पश्चिमी विक्षोभ आमतौर पर अक्तूबर से फरवरी के मध्य भारत को अधिक प्रभावित करते हैं। उससे बाद पश्चिम से आने वाली यह मौसमी हलचल ऊपर से निकलने लगती है। हालांकि उपरिगमी होने के बावजूद यह उत्तर भारत को सहयोगी चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के रूप में मौसम को प्रभावित करती रहती है, जिससे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और इसके आसपास के भागों तथा राजस्थान तक अधिकांश जगहों पर बारिश होती रहती है।
उत्तर भारत के लिए जून माह इस वर्ष का सबसे अधिक वर्षा वाला महीना रहा। यहाँ जून में अच्छी बारिश हुई। इसमें पश्चिमी विक्षोभ और पश्चिमोत्तर भारत के ऊपर बनने वाले चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र का योगदान रहा। इन दोनों के संयुक्त प्रभाव से उत्तर भारत के मैदानी राज्यों के साथ-साथ पर्वतीय राज्यों में भी अधिक बारिश दर्ज की गई।
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