25 से 27 जनवरी यानि शनिवार से सोमवार के बीच बिहार का मौसम शुष्क बना रहने का अनुमान है। हालांकि, 25 जवनवी तक उत्तर पश्चिमी दिशा से चल रही ठंडी हवा के कारण रात और दिन के तापमानों में हल्की गिरावट हो सकती है। 28 से 30 जनवरी यानि मंगलवार से गुरुवार के बीच एक ट्रफ रेखा उत्तर प्रदेश से पश्चिम बंगाल तक बनेगी जो बिहार होते हुए गुज़रेगी। इस दौरान, बिहार के कई राज्यों में हल्की बारिश हो सकती है। 31 तारीख को मौसम एक बार फिर शुष्क हो जाएगा तथा रात के तापमानों में हल्की गिरावट हो सकती है।
किसानों के लिए फसल सलाह:
ठंडी हवाएं चलने और हवा में सामान्य से अधिक नमी होने के कारण चना, मटर तथा मसूर की फसलों में हरदा रोग का प्रकोप होता है जिसमें पत्तियों, टहनियों एवं फलियों पर गोलाकार, प्यालीनुमा सफेद-भूरे रंग के फफोले बनते हैं। इसके नियंत्रण के लिए कार्बेंडाजिम तथा मैंकोज़ेब संयुक्त उत्पाद का 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। चने की फसल में झुलसा रोग की बीमारी हो सकती है। यह बीमारी फूल निकलने से पूर्व तथा फूल की स्थिति में भी आती है जिसमें पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। फूल पर भी भूरे रंग के धब्बे बन कर उसे सुखा देते हैं जिससे फलियाँ बनती ही नहीं है या सूख जाती है। इसके रोकथाम हेतु जाइरम 80 डब्लू.पी. फफूंदनाशी का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से फूल आने के पूर्व छिड़काव करें। प्याज की रोपाई करने के लिए अभी समय उचित है। रोपाई के एक दिन पहले 200 कि.ग्रा. कैलशियम अमोनियम नाइट्रेट, 300 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट तथा 100 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश मिट्टी में मिलाकर क्यारियों को समतल कर लें। गेहूँ में सेहूँ रोग का प्रकोप होने पर तत्काल ग्रसित पौधा को उखाड़ कर जला देना चाहिए। लीची के वृक्षों में जनवरी माह में अवश्य कुड़ाई करें और फल आने तक सिंचाई व पोषण न दें।
Image credit: Denik Bhaskar
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