आइये जानते हैं गुजरात में 12 से 18 सितंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम।
गुजरात के लिए साल 2020 का मॉनसून अब तक ज़बरदस्त रहा है। उन इलाकों में भी भारी बारिश हुई है जहां आमतौर पर शुष्क मौसम बना रहता है। इस सप्ताह भी गुजरात में ज़बरदस्त बारिश के आसार हैं।
इस बीच पिछले 24 घंटों के दौरान भी गुजरात के पूर्वी और दक्षिणी जिलों में अच्छी वर्षा की गतिविधियां देखने को मिली हैं। गांधीनगर, अहमदाबाद, वल्लभ विद्यानगर, बड़ौदा, अमरेली, वलसाड आदि जिलों में भारी बारिश हुई है। कांडला पोर्ट तथा केसोड में भी हल्की वर्षा दर्ज की गई है।
इस समय एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तर पूर्वी अरब सागर में गुजरात के दक्षिण में बना हुआ है, जिसके प्रभाव से नमी वाली हवाएं गुजरात पर लगातार चलती रहेंगी। हमारा अनुमान है कि अगले एक सप्ताह तक गुजरात के अधिकांश भागों में व्यापक वर्षा होगी। वर्षा की गतिविधियां अधिकांशतः दक्षिण पूर्वी तथा दक्षिणी जिलों में होंगी। जिसमें गुजरात के पूर्वी क्षेत्र और सौराष्ट्र के इलाकों शामिल हैं। कच्छ में अपेक्षाकृत मॉनसून वर्षा हल्की या मध्यम ही रहेगी। भारी बारिश के आसार कच्छ क्षेत्र में नहीं हैं।
एक निम्न दबाव का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी पर 13 सितंबर के आसपास बनेगा। यह सिस्टम पश्चिम दिशा में आगे बढ़ेगा जिसके प्रभाव से 16 से 18 सितंबर के बीच अहमदाबाद, गांधीनगर तथा बड़ौदा सहित पूर्वी जिलों में मूसलधार बारिश हो सकती है।
इस मौसम का फसलों पर कैसा होगा असर
गुजरात के अधिकतर हिस्सो में वर्षा की संभावना को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि फसलों में सिंचाई और छिड़काव मौसम पूर्वानुमान के अनुरूप ही करें।
मिट्टी में अत्यधिक नमी के कारण मूँगफली की फसल में तना व फली सड़न जैसी समस्याएँ देखने को मिल सकती है, ये मुख्यतः फफूंद के कारण होता है, जिसमे मिट्टी के पास तने और फलियों पर सफ़ेद फफूंद दिखाई देती है जो बाद में सड़न पैदा करती है। इसकी रोकथाम के लिए मैनकोजेब 30 ग्राम को 10 लीटर पानी में घोलकर साफ मौसम में छिड़काव करें। मूँगफली की फसल में सितंबर के महीने में लीफ-माइनर कीट का प्रकोप भी बढ़ जाता है, इसकी रोकथाम के लिए डी.डी.वी.पी. 10 मि.ली. या प्रोफेनोफोस 20 मि.ली. को 10 लीटर पानी में मिलाकर साफ मौसम में छिड़कें।
धान की फसल में लीफ-रोलर का प्रकोप भी इन दिनों पाया जा सकता है, इसकी रोकथाम के लिए फेनप्रोपेथ्रिन को 15 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। जल-जमाव के कारण गन्ने की फसल में रेड-रॉट का प्रकोप पाया जा सकता है। इसके प्रकोप से ऊपरी तीसरी व चौथी पत्तियाँ पीली पड़ कर मुरझा जाती है, इसकी रोकथाम के लिए खेतो में नत्रजन का प्रयोग सीमित करें।
कपास की फसल में, थ्रिप्स के प्रकोप के कारण फूल झड़ने लगते हैं, नियंत्रण हेतु 10 मि.ली. इमिडाक्लोपृड 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। अधिक नमी के कारण कपास में वानस्पतिक विकास अधिक हो सकता है, जिससे उपज पर असर पड़ सकता है, इसलिए पौधों के ऊपरी हिस्सों को काट कर पौध की लंबाई 4 फीट तक कर दें।
Image credit: Wikiwand
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