आइये जानते हैं गुजरात में 31 अक्टूबर से 6 नवंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम।
गुजरात के लगभग सभी भागों में लंबे समय से बारिश नहीं हो रही है। अक्टूबर के शुरुआती दिनों में कई स्थानों पर बारिश होने के कारण मूंगफली तथा अन्य फसलों की कटाई में रुकावट पैदा हुई थी।
15 से 20 अक्टूबर के बीच गुजरात में अधिकतम तापमान भी सामान्य से ऊपर बने रहे परंतु अब अधिकतम तापमान सामान्य से कुछ कम ही बने हुए हैं। एक विपरीत चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण पूर्वी राजस्थान और उसके आसपास बना हुआ है। इसके प्रभाव से गुजरात के अधिकांश इलाकों में उत्तर पूर्वी दिशा से शुष्क हवाएं चल रही हैं।
गुजरात में इस सप्ताह मौसम शुष्क बना रहेगा। दिन और रात के तापमान में हल्की गिरावट होने की भी संभावना है। अक्टूबर से मई के बीच गुजरात के अधिकांश भागों में मौसम लगभग शुष्क रहता है। बारिश की संभावना बहुत कम होती है। इस दौरान अधिकांश जिलों में महीने की औसत वर्षा एक मिमी से भी कम है।
इस मौसम का फसलों पर कैसा होगा असर
मुख्यतः शुष्क मौसम को देखते हुए रबी फसलों की बुवाई जारी रखें। गेहूं की अगेती क़िस्मों की बुआई 10 नवम्बर से पहले होती है। इसके लिए जी.जे.डबल्यू-463 तथा समय पर बुवाई से लिए लोक-1, जी.डबल्यू-366, जी.जे.डबल्यू-463, जी.डबल्यू-451, जी.डबल्यू-11, जी.डबल्यू-273, जी.डबल्यू-496, जी.डबल्यू-322 आदि किस्मों में से बीजो का चुनाव करें।
चने की बुवाई के लिए उत्तम समय 15 अक्तूबर से 15 नवंबर है। अच्छी उपज हेतु बीजों का चुनाव गुजरात ग्राम-1, गुजरात ग्राम-2, गुजरात जूनागढ़-3, गुजरात ग्राम-5, गुजरात जूनागढ़ ग्राम-6 आदि किस्मों में से करें।
केले की फसल में उर्वरकों की पहली खुराक देने के लिए अभी मौसम अनुकूल है। 90 दिन की फसल में 330 ग्राम अमोनियम सल्फेट या 140 ग्राम यूरिया, 570 ग्राम सिंगल सुपर फॉसफेट तथा 115 ग्राम म्यूरिएट ऑफ पोटाश डालें।
आलू की बुवाई से पहले खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करे तथा 25-30 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टर डालें। बैंगन की फसल में जेसिड के कारण छोटी पत्ती रोग से बचने हेतु 5 मि.ली. उलाला या 20 मि. ली. ट्राइएज़ोफॉस 10 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़कें।
मूँगफली की पकी हुई फसल की कटाई कर खेत मे सुखाएँ, मिट्टी के अधिक सूखा होने पर कटाई से पहले हल्की सिंचाई की जा सकती है। कपास की फसल थ्रिप्स या नाइट्रोजन की अधिकता के कारण फूल को झड़ने से बचाने हेतु नाइट्रोजन का सीमित छिड़काव करें व थ्रिप्स की रोकथाम हेतु 5 मि.ली. उलाला या 10 मि.ली. सपिनोसेड 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।
आरंडी की फसल में पत्ती खाने वाली सूंडी का प्रकोप होने पर 25 किलो क्विनालफॉस (पावडर) प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
Image credit: Gujarat Farmers
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