[Hindi] गुजरात का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (29 अगस्त-4 सितंबर, 2020), किसानों के लिए फसल सलाह

August 29, 2020 11:56 AM|

आइये जानते हैं गुजरात में 29 अगस्त से 4 सितंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम।

गुजरात में सौराष्ट्र और कच्छ इस समय देश में सबसे अधिक वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्र बन चुके हैं। 1 जून से 28 अगस्त के बीच सौराष्ट्र और कच्छ में सामान्य से 124% अधिक वर्षा हुई है जबकि गुजरात के पूर्वी भागों में 13 अधिक वर्षा प्राप्त हुई है।

इस सप्ताह भी गुजरात के विभिन्न भागों में बारिश की संभावना है क्योंकि एक गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र मध्य प्रदेश के ऊपर है तथा चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिणी पाकिस्तान के ऊपर है। इन दोनों के मिले-जुले प्रभाव से गुजरात में पिछले 24 घंटों के दौरान भी अच्छी बारिश हुई है। अगस्त तक गुजरात के अधिकांश जिलों में मध्यम वर्षा तथा एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है। 31 अगस्त से वर्षा की गतिविधियां कम होना शुरू हो जाएंगी तथा सितंबर का पहला सप्ताह गुजरात के लिए लगभग शुष्क बना रहेगा।

1 सितंबर से 7 या 8 सितंबर के बीच गुजरात में मौसम लगभग पूरी तरह शुष्क बना रहेगा तथा दिन के तापमान में भी वृद्धि होने के आसार हैं।

इस मौसम का फसलों पर कैसा होगा असर

गुजरात के विभिन्न भागों में भारी वर्षा के आसार को देखते हुए किसानों को सलाह है कि कपास, मूँगफली, सोयबीन, तुअर, मक्का आदि खड़ी फसलों में पानी निकासी की उचित व्यवस्था करें। मूँगफली की फसल में बुवाई के 40 दिन बाद फफूंद का प्रकोप होने से पत्तियों में धब्बे दिखाई देने लगते हैं और पत्ती सूखकर गिरने लगती है। इस रोग के नियंत्रण के लिए मौसम अनुकूल होने पर 10 ग्रा बाविस्टीन या 10 मिली. हेक्ज़ाकोनाज़ोल 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

कपास की फसल में बुवाई के 60 दिन बाद गुलाबी सूँडी का प्रकोप शुरू हो जाता है, इसके नियंत्रण के लिए 15 मि.ली. पोलिट्रिन-सी 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। कपास की फसल में यदि मीली-बग कीट का प्रकोप पाया जा रहा हो और वर्षा के कारण कीट-नशाकों का प्रयोग संभव न हो तो प्रभावित टहनियों को काट कर या प्रभावित पौधों को उखाड़ कर खेत से अलग कर दें व पूर्णतः नष्ट कर दें।

देर से बोई गई धान की फसल में बुवाई के 25 दिन बाद, खरपतवार निकालें। फसल में लीफ रोलर पत्तियों को मोड़-कर पत्तियों के हरे उत्तकों को खाते हैं जिससे कारण पत्तियाँ सफ़ेद दिखाई देने लगती है, इसके नियंत्रण के लिए मौसम साफ हो जाने पर 20 कि.ग्रा. कार्टेप हाइड्रोक्लोराइड प्रति हेक्टर की दर से भुरकें।

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