आइये जानते हैं गुजरात में 22 से 28 अगस्त के बीच कैसा रहेगा मौसम।
गुजरात में पिछले कई दिनों से अच्छी वर्षा हो रही है। पिछले 24 घंटों के दौरान भी भुज और गुजरात के पूर्वी भागों में मूसलाधार वर्षा हुई है। मध्य प्रदेश के ऊपर बना गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र पश्चिमी दिशा में बढ़ते हुए 22 अगस्त को गुजरात के ऊपर पहुँच जाएगा। इस सिस्टम के चलते गुजरात के लगभग सभी भागों में 24 अगस्त तक भारी से अति वर्षा होने की संभावना है। राज्य के उत्तरी जिले सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। जिनमें बनासकांठा, साबरकांठा, मेहसाणा, इदार, पाटन, मोरबी तथा भुज शामिल है।
अहमदाबाद, बड़ौदा, गांधीनगर, राजकोट और आसपास के जिलों में भी इस दौरान अच्छी बारिश होने की संभावना है। 23 और 24 अगस्त को गुजरात के दक्षिणी जिलों से वर्षा की गतिविधियां काफी कम हो जाएंगी परंतु उत्तरी जिलों में जारी रह सकती हैं। 25 अगस्त से गुजरात में मौसम लगभग शुष्क हो जाएगा परंतु हल्की बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मध्यम मॉनसूनी बौछारें जारी रह सकती हैं।
सौराष्ट्र और कच्छ में पहले से ही अच्छी मॉनसून वर्षा हो रही है जिसके चलते इस क्षेत्र में बारिश का आंकड़ा सामान्य से 87% ऊपर पहुँच चुका है। जबकि गुजरात के पूर्वी भागों में पहले कुछ कम बारिश देखने को मिल रही थी। अब पूर्वी भागों में भी बारिश सामान्य से 1% ऊपर पहुँच गई है।
इस मौसम का फसलों पर कैसा होगा असर
वर्षा जारी रहने के अनुमान को देखते हुए किसानों को सलाह है कि कपास, मूँगफली, सोयबीन, सब्जियों आदि खड़ी फसलों से अत्यधिक पानी के निकासी के तुरंत उचित उपाय करें। कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव मौसम साफ होने पर ही करें। बढ़ती हुई नमी के कारण फसलों में कीटों का प्रकोप हो सकता है, इसके नियंत्रण हेतु फसलों के आस पास खर-पतवारों को न जमने दें, फसलों की नियमित निगरानी करते रहें।
कपास की फसल में 60 दिन पर बड बनने की शुरुआत होती है। इस अवस्था में फसल को गुलाबी सूँडी नुकसान करना शुरू करती है, इसके नियंत्रण हेतु मौसम अनुकूल रहने पर 5 मि.ली. स्पाइनोसेड 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। कपास की फसल में रस चूसक कीट के नियंत्रण हेतु 10 मि.ली. नुवान/पोलिट्रिन-सी या 5 ग्रा थाइओमेथोक्ज़ेम 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। छिड़काव से पहले मिश्रण में स्टिकर/शैम्पू मिलाएँ। धान की फसल में ज़िंक की कमी के कारण, पत्तियों के सिरे भूरे पड़ने लगते हैं, इसके नियंत्रण हेतु 25 ग्राम प्रति हेक्टर की दर से ज़िंक सल्फेट का प्रयोग करें या 10 लीटर पानी में 50 ग्रा ज़िंक सल्फेट और 50 ग्रा यूरिया मिलाकर मौसम साफ होने पर छिड़काव करें।
धान की फसल में कहीं-कहीं पर, जड़ में लगने वाला कीट व पत्ती मोड़क कीट का प्रकोप भी इन दिनो बढ़ सकता है, इसके नियंत्रण हेतु फरटेरा दानेदार कीटनाशक 5 किग्रा प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करें। कद्दू-वर्गीय सब्जियों व फलो के नए पौध इन दिनो लगाए जा सकते हैं। केले की नयी फसल लगाने के लिए किसान तने को उपयोग से पहले 1 ग्रा स्ट्रेप्टोसाइकलिन, 1.2 ग्राम औरिओफंगिन तथा 10 लीटर पानी के मिश्रण में 90 मिनट तक भिगो कर रखें। मूँगफली की फसल में वनस्पति अवस्था में स्पोडोप्टेरा से नुकसान पहुँच सकता है इसके नियंत्रण हेतु मौसम साफ रहने पर 5 मि.ली. फ्लुबेंडियामाइड 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
Image credit: Desh Gujarat
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