उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में जमकर बारिश हो रही है जबकि दक्षिणी जिलों में लोग बारिश के लिए तरस रहे हैं। अगले कुछ दिनों के दौरान उत्तर प्रदेश के उत्तरी भागों में बाढ़ की आशंका है जबकि बुंदेलखंड क्षेत्र को सूखे की मार से उबरने के लिए और इंतज़ार करना होगा।
साल 2019 के मॉनसून में 1 जून से 10 जुलाई के बीच उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों में बारिश में कमी 23% है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब तक सामान्य से 31% कम बारिश हुई है।
उत्तर प्रदेश में इस सप्ताह जमकर मॉनसूनी बारिश की संभावना है। लेकिन आपको बता दें कि ज्यादा बारिश राज्य के उत्तरी इलाकों में देखने को मिलेगी, जो नेपाल और हिमालय की तराई से सटे हुए हैं। इसमें पूरब में गोरखपुर से लेकर पश्चिम में नजीबाबाद तक 15 जुलाई तक मूसलाधार वर्षा होगी।
इसके चलते गोरखपुर, बलिया, देवरिया, बलरामपुर, गोंडा, बस्ती, बहराइच, सीतापुर, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, पीलीभीत, सहारनपुर सहित तराई से सटे जिलों में 11 से 15 जुलाई के बीच भारी बारिश देखने को मिलेगी। जिसके कारण कई इलाकों पर बाढ़ का खतरा है।
साथ ही इस दौरान नेपाल में भी भारी बारिश होगी। जिसके कारण नेपाल के रास्ते उत्तर प्रदेश में आने वाली घाघरा और राप्ती सहित अनेक नदियों में पानी खतरे के निशान से ऊपर पहुंचेगा। जिससे कई निचले इलाके बाढ़ की चपेट में होंगे।
दूसरी ओर वाराणसी से लेकर आजमगढ़, जौनपुर, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, अमेठी, रायबरेली, बाराबंकी, कानपुर और लखनऊ सहित आसपास के भागों में 12 जुलाई तक कई जगहों पर हल्की से मध्यम और कुछ स्थानों पर भारी वर्षा रुक-रुक कर होने की संभावना है। राजधानी लखनऊ में पूरे सप्ताह बारिश जारी रहेगी।
जबकि पूर्वी क्षेत्रों में अन्य भागों की बात करें तो मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही, प्रयागराज, कौशांबी, चित्रकूट और आसपास के हिस्सों में 11 और 12 जुलाई को हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। उसके बाद इन भागों में बारिश कम हो जाएगी।
बांदा से लेकर आगरा, अलीगढ़ और मथुरा तक सप्ताह के शुरुआती चार-पांच दिनों तक मौसम शुष्क रहेगा। लेकिन 15 जुलाई से जब मॉनसून ट्रफ हिमालय की तराई से दक्षिण में आएगी तब बारिश भी गाज़ियाबाद, नोएडा से लेकर आगरा, मथुरा, बांदा, झाँसी, कानपुर, चित्रकूट, प्रयागराज, वाराणसी में भी फिर से बारिश आएगी।
किसानों के लिए फसल सलाह
भारी वर्षा जारी रहने की स्थिति में उत्तरी जिलों में किसानों को सुझाव है कि खड़ी फसलों के खेतों में पानी के निकास की उचित व्यवस्था करें। किसी भी छिड़काव करने से अभी बचें। उत्तर प्रदेश के मध्य भागों में किसानों को सुझाव है कि खेतों में पानी के निकास की उचित व्यवस्था के साथ-साथ बारिश के पानी को संग्रहीत करने के लिए बंड आदि बनाएँ।
राज्य के दक्षिणी भागों में खेतों में नमी देखकर फसलों में नियमित सिंचाई करते रहें। नमी के करण फसलों में कीटो का प्रकोप बढ़ सकता है, इसलिए नियमित निगरानी करते रहें व उत्पत्ति होने पर उचित निवारण करें। गन्ने की फसल में लौह तत्व की कमी के कारण पत्तियों में पीली पट्टियाँ बनने लगती हैं, इसकी रोकथाम हेतु 1% फेरस सल्फेट का घोल एक हफ्ते के अंतराल पर 2 से 3 बार छिड़कें।
अरहर की बुवाई हेतु 15 से 20 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टर प्रयोग कर बुवाई करें। बुवाई से 48 घंटा पूर्व 2 से 2.5 ग्राम डायफोल्टान अथवा थिरम फफूंदनाशी से प्रति कि.ग्रा. बीज को उपचारित करें एवं उपचारित बीज को उचित रहिजोबियम तथा पी.एस.बी. बायोफर्टिलाइजर से उपचारित कर बुवाई कर दें।
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