पिछले कुछ दिनों में राजस्थान के कई जिलों में बारिश तथा एक-दो स्थानों पर ओला वृष्टि देखने को मिली। अब उत्तर दिशा से चलने वाली ठंडी हवाओं के कारण राजस्थान के अधिकांश भागों में रात के तापमानों में गिरावट हो रही है। यह गिरावट आने वाले दिनों में भी जारी रहेगी।
उम्मीद है कि 03 दिसंबर तक तापमान में गिरावट का क्रम बना रहेगा। इस दौरान सुबह के समय राज्य के कुछ हिस्सों में कोहरा भी छा सकता है। हालांकि इस दौरान मौसम पूरी तरह से शुष्क बना रहेगा।
मौसम की इस स्थिति को देखते हुए रबी फसलों की बिजाई, सिंचाई व छिड़काव का काम किया जा सकता है। समय से बोई गई सरसों की फसल में पहली सिंचाई, बुआई के 35-40 दिन बाद करें। यदि केवल दो ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो, तब पहली सिंचाई, बुआई के 40-45 दिन बाद व दूसरी सिंचाई बुआई के 90-100 दिन बाद करें। पहली सिंचाई के समय नत्रजन की आधी मात्रा (30-40 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर) दें।
राज्य के किसानों के लिए फसल सलाह:
अगले कुछ दिनों तक मौसम साफ बना रहेगा लेकिन 5 से 7 दिसम्बर के बीच पश्चिमी तथा दक्षिणी पश्चिम राजस्थान में कहीं-कहीं हल्की बारिश की उम्मीद है। इन भागों में किसानों को सुझाव है कि बिजाई, सिंचाई व छिड़काव का काम मौसम बिगड़ने पर न करें। जैसलमर, जोधपुर, बाड़मेर, नागौर तथा पाली में बादल छाए रहेंगें तथा हल्की वर्षा भी हो सकती है।
वर्तमान मौसम में बारानी क्षेत्रों में चने की फसल में 20-35 दिन की अवस्था में कटवर्म (कटुआ कीट) का प्रकोप बढ़ जाता है, यह कीट जमीन से कुछ ऊपर तने को काट देता है, जिससे उपज में भारी गिरावट आती है। इसके नियंत्रण के लिए मेलाथियान (5%) अथवा फेनवेलरेट (0.04%) की धूल/चूर्ण/डस्ट 20-25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करें।
Image credit: DNA India
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