आइये जानते हैं गुजरात में 14 से 20 नवंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम।
गुजरात राज्य में लंबे समय से मौसम साफ और शुष्क बना हुआ है। सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में अक्टूबर महीने में बहुत व्यापक वर्षा होने के कारण बारिश का आंकड़ा सामान्य से ऊपर पहुंच गया था जो इस समय भी सामान्य से अधिक बना हुआ है। 1 अक्टूबर से 14 नवंबर के बीच गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में सामान्य से 66% ज्यादा 35.3 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई है। वहीं पूर्वी क्षेत्र में जिसे गुजरात रीज़न कहते हैं, में सामान्य से 51% कम महज़ 10.6 मिलीमीटर बारिश हुई है।
गुजरात में इस सप्ताह भी मौसम साफ और शुष्क बना रहेगा। सप्ताह के ज्यादातर दिनों में दक्षिण-पश्चिमी या पश्चिमी हवाएं चलेंगी जिससे राज्य के ज्यादातर इलाकों में तापमान सामान्य या सामान्य से कुछ ऊपर बना रहेगा। 18 या 19 नवंबर से राज्य में हवाओं के रुख में बदलाव होगा और पूर्वी तथा उत्तर पूर्वी दिशा से हवाएँ आनी शुरू होंगी। इन हवाओं में ठंडक होगी जिससे दिन और रात के तापमान में गिरावट की उम्मीद सप्ताह के आखिर में की जा सकती है।
इस सप्ताह गुजरात के भुज, राजकोट, वेरावल, सोमनाथ, द्वारका, ओखा, पोरबंदर, सूरत, वलसाड, नवसारी, बड़ौदा, गांधीनगर, मेहसाना, पाटन समेत लगभग अधिकांश जिलों में इस सप्ताह न्यूनतम तापमान 15 से 18 डिग्री सेल्सियस के बीच और अधिकतम तापमान 32 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा।
इस मौसम का फसलों पर कैसा होगा असर
धान व अन्य खरीफ फसलों की कटाई के बाद खेत को रबी फसलों की बुआई जारी रखें। गेहूं की बुआई के लिए अगर लोक-1 या जी.डबल्यू-366 किस्मों का चुनाव किया हो तो बीज दर 125-130 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर रखें। जी.जे.डबल्यू-463, जी.डबल्यू-451, जी.डबल्यू-11, जी.डबल्यू-273, जी.डबल्यू-496 या जी.डबल्यू-322 आदि किस्मों का बीज 100-125 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें।
रासायनिक उर्वरकों की बचत के लिए बुआई से पहले बीजों को एज़ोटोबेक्टर और पी.एस.बी कल्चर से 30 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।
मौसम अनुकूल रहने पर कपास की फसल में पूर्ण रूप से बॉल से कपास चुनना शुरू करें।
जीरे को उकठा रोग से बचाने के लिए 1.25 कि.ग्रा. ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति हेक्टेयर खेत तैयार करते समय छिड़कें। अरंडी की फसल में नमी बनाए रखने के लिए अंतवर्तीय फसल लगाएँ तथा कीट की रोकथाम हेतु 50 मि.ली. नीम आधारित कीटनाशक 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। अरंडी की फसल को विल्ट से बचाने हेतु बिजाई के समय अगर ट्राइकोडर्मा विरिडी न प्रयोग किया हो तो इसकी 1.25 किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेयर सिंचाई के साथ दें।
मिर्ची की फसल को कीट के प्रकोप से बचाने हेतु रोपाई से पहले मिर्ची की नर्सरी की जड़ों को 20 मिली. इमिडाक्लोप्रिड और 10 लीटर पानी से बने घोल मे 4 से 6 घंटे डूबा कर रखें।
Image credit: Factor Daily
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