आइए जानते हैं हरियाणा में 11 से 17 नवंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल और क्या है इस सप्ताह फसलों से जुड़ी सलाह।
हरियाणा समेत उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में बारिश का दर्शन हुए 2 महीने से अधिक समय बीत गया है। हालांकि बारिश न होने का सर्दी पर असर नहीं है। बल्कि न्यूनतम तापमान कई दिन पहले से ही गिरने लगा है और अधिकांश इलाकों में सामान्य से नीचे दर्ज किया जा रहा है जिससे सर्दी की दस्तक समय से कुछ पहले ही हो गई। हालांकि अधिकतम तापमान सामान्य के आसपास ही बना हुआ है।
पिछले कई हफ्तों के शुष्क मौसम के बीच इस सप्ताह हरियाणा में बारिश के दर्शन हो सकते हैं। एक पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के पास पहुंचने वाला है। इसके प्रभाव से हरियाणा तथा पंजाब पर एक चक्रवती हवाओं का क्षेत्र बन सकता है। इन्हीं सिस्टमों के प्रभाव से 15 नवंबर को हरियाणा के कुछ भागों में हल्की वर्षा तथा एक-दो स्थानों पर मध्यम वर्षा होने की संभावना है। बारिश की गतिविधियां रुक-रुक कर 17 नवंबर तक देखने को मिल सकती हैं।
इससे पहले हवाओं के रुख में बदलाव होगा और अगले कुछ दिनों तक पूर्वी दिशा से नम तथा हल्की गर्म हवा चलने के कारण हरियाणा में न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री तक की वृद्धि होने की संभावना है।
हरियाणा के किसानों के लिए इस हफ्ते की एड्वाइज़री
15 नवम्बर से 17 नवम्बर के बीच हल्की वर्षा की संभावना को देखते हुए सुझाव है कि सलाह है कि मड़ाई का काम पहले ही निपटा लें या कटी हुई फसलों को सुरक्षित स्थानों पर रखें।
गेहूं, जौ, दलहनी व तिलहनी फसलें, मौसमी सब्जियों आदि की बिजाई का कार्य भी शीघ्र पूरा करें। गन्ने की मध्य कालीन फसल की कटाई कर पेराइ कर गुड़ बनाने के लिए अभी समय उपयुक्त है। लाल-सड़न से प्रभावित गन्ने की भी कटाई कर ले व ऐसे खेतो मे मोढी की फसल न लगाएँ।
गेहूँ की पछेती बिजाई के लिए अच्छी किस्में हैं राज-3765, डब्लू.एच-1121, एस-308, पी.बी.डब्लू-373 आदि। भूमि का स्वास्थ्य बनाए रखने हेतु बिजाई हैप्पी सीडर से करें। गेहूँ की बुआई के बाद ही कुछ दिनों में खरपतवारों का प्रकोप देखा जा सकता है, इसकी रोकथाम के उपाय करें।
जौ की फसल में अच्छी उपज हेतु 25 किग्रा नाइट्रोजन, 55 किग्रा यूरिया, 12 किग्रा शुद्ध फॉस्फोरस तथा 75 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट प्रति एकड़ की दर से दें। फलों के पौधों के साथ इंटरक्रॉप लगाने के लिए समय उपयुक्त है, गेहूं, सेंजी, मटर व उरद आदि फसलें इंटरक्रॉप के तौर पर लगाई जा सकती हैं। इंटरक्रॉप व मुख्य फसलों में सिंचाई अलग अलग दें।
Image credit: DNA India
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