आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में 24 से 30 सितंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल
पूर्वी उत्तर प्रदेश में मॉनसून ने आखिरी चरण में अच्छी बारिश दी है। बांदा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर सहित कई जिलों में भारी वर्षा हुई है। लेकिन मॉनसून ने इस बार भी पश्चिमी जिलों को निराश किया है।
जिस निम्न दबाव के प्रभाव से उत्तर प्रदेश पर बारिश हो रही थी वह पूर्वी उत्तर प्रदेश और उसके आगे निकल जाएगा। इसके प्रभाव से 24 सितंबर को भी गोरखपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, गोंडा उत्तर प्रदेश के उत्तर पूर्वी जिलों में भारी वर्षा हो सकती है। शेष पूर्वी जिलों में भी मध्यम वर्षा के आसार दिखाई दे रहे हैं। परंतु पश्चिमी जिलों में मौसम लगभग शुष्क बना रहेगा। हालांकि एक-दो स्थानों पर छिटपुट वर्षा की गतिविधियां हो सकती हैं।
25 सितंबर से उत्तर प्रदेश के अधिकांश भागों में मौसम लगभग शुष्क हो जाने की संभावना है। लेकिन छिटपुट वर्षा जारी रह सकती है। अधिकांश स्थानों पर मौसम शुष्क होने के कारण तापमान में कुछ वृद्धि हो सकती है।
मॉनसून की विदाई में में देरी हो रही है। अगले एक हफ्ते में मॉनसून उत्तर प्रदेश से वापस लौट जाएगा।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
कुछ इलाकों में वर्षा की संभावना को देखते हुए सुझाव है कि सुझाव है कि कटी हुई फसलों को सुरक्षित स्थानों पर रखें तथा किसी भी प्रकार छिड़काव अभी न करें। जिन भागों में मौसम साफ रहने के अनुमान है वहाँ पक चुकी फसलों की कटाई कर लें व खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई व छिड़काव करें।
धान की फसल में गंधी बग्स का प्रकोप इस समय हो सकता है, इसकी रोकथाम के लिए फसल की नियमित निगरानी करते रहें। इसका प्रकोप होने पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।
उड़द की फसल में यदि छेदक कीट का प्रकोप हो तो 5% क्विनॉलफॉस 25 ई.सी. 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर 500-600 लीटर पानी में मिलाकर अनुकूल मौसम में छिड़कें। यदि फसलों में दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो 4 मि.ली. क्लोरपाइरिफॉस 20 ई.सी. प्रति लीटर पानी में घोलकर सिंचाई के साथ दें।
अगेती मटर की बुवाई करने के लिए मौसम अभी उपयुक्त है। किसान भाई अभी सरसों की अगेती बुवाई के लिए पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा अगर्णी, पूसा तारक, पूसा महक आदि में चुनाव कर बीज की व्यवस्था कर सकते हैं तथा खेतों को तैयार कर सकते हैं।
नमी के कारण फसलों में कीटो का प्रकोप हो सकता है, समय पर उपचार की व्यवस्था रखें। खेतो में लाइट ट्रेप का प्रयोग किया जा सकता है। मक्के की फसल को तना छेदक से बचाने हेतु 2 लीटर फेनीटरोथियान 50 ई.सी. प्रति हेक्टेयर 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। मक्के की कटाई 25 सितंबर के बाद से की जा सकती है।
मूंग में नियमित कीटो की निगरानी करते रहें, उत्तपत्ति होने पर उचित उपचार करें, मोसाइक रोग से ग्रसित पौधो को निकाल कर नष्ट कर दें।
Image credit: TOI
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