आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में 11 से 17 सितंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल
उत्तर प्रदेश में इस सप्ताह अधिकांश स्थानों पर मौसम मुख्यतः साफ और शुष्क बना रहेगा। हालांकि पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में इस सप्ताह बारिश होने की संभावना है। 11 से 13 सितंबर के बीच बलरामपुर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, देवरिया, गोरखपुर, बलिया, मऊ, सोनभद्र, भदोही जैसे जिलों में बारिश देखने को मिलेगी। 14 सितंबर से बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी और प्रयागराज, जौनपुर, प्रतापगढ़, अयोध्या, रायबरेली, अमेठी, बांदा, बहराइच, लखीमपुर खीरी, तथा लखनऊ में भी मौसम बदल सकता है। इन भागों में भी हल्की से मध्यम बारिश 14 से 17 सितंबर के बीच दर्ज की जा सकती है।
दूसरी ओर पश्चिमी भागों में 15 से 17 सितंबर को तराई वाले इलाकों में हल्की वर्षा के आसार हैं। बाकी हिस्सों में कानपुर से लेकर झाँसी, जालौन, एटा, इटावा, मैनपुरी, फ़िरोज़ाबाद, हाथरस, अलीगढ़, आगरा, मथुरा, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर, गाज़ियाबाद, हरदोई, बदायूं समेत अधिकांश जिलों में मौसम शुष्क बना रहेगा। गर्मी बढ़ेगी और उमस भी बनी रहेगी।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
किसानों को सुझाव है कि फसलों में केवल आवश्यकतानुसार ही सिंचाई करें। निचली जमीन के खेतो में अत्यधिक पानी के निकासी हेतु नालियाँ बनाएँ ताकि जल जमाव न हो और जहां पानी की कमी हो वहाँ मेडबंदी करें ताकि पानी को संग्रहित किया जा सके।
उमस भरे मौसम के कारण फसलों में रोगो व कीटो का प्रकोप हो सकता है, इसलिए फसलों की निगरानी व तुरंत उपचार करना अति आवश्यक है। मूंगफली की फसल में यदि में टिक्का रोग के लक्षण देखें तो नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम २ ग्राम प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे। मूंग तथा उड़द की फसल के पीले मोजैक से ग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें।
धान में तना छेदक (स्टेम बोरर) व पत्र लपेट (लीफ-फोल्डर) आदि कीटों के प्रबंधन हेतु खेत में जगह-जगह बर्ड-पर्चर लगाएं। धान में ब्राउन स्पॉट रोग के कारण पत्तियों पर जहां-तहां भूरे रंग की चित्ती बन जाती है, अधिक प्रकोप होने पर पत्तियां सूख जाती हैं तथा फसल नष्ट हो जाती है। इसके नियंत्रण के लिए मैंकोज़ेब 75 डब्ल्यू.पी. 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर साफ मौसम में छिड़काव करें।
गन्ने में नाइट्रोजन की शेष मात्रा मौसम साफ रहने पर दें। सब्जियों की रोपाई के लिए अभी समय उपयुक्त है। सितंबर अरहर की खेती के लिए 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की सड़ी खाद मिलाकर खेत की तैयारी करके पंक्ति से पंक्ति 40 से 50 सेंटीमीटर तथा पौधा से पौधा 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बीजोपचार कर बीज की बुआई करें। अगेती आलू की बुवाई के लिए खेतों को तैयार किया जा सकता है। टमाटर, बैंगन, मिर्ची, फूलगोभी, पत्तागोभी जैसी रबी मौसम में लागई जाने सब्जियों की नर्सरी तैयार करने का उचित समय है।
फसलों में अत्यधिक नाइट्रोजन देने से बचें, अन्यथा कीटो का प्रकोप बढ़ सकता है। फसलों से अवांछित पौधो व खर-पतवारों को निकाल कर तुरंत नष्ट करें।
Image credit: TOI
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