आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में 1 से 7 अक्टूबर के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल
मॉनसून सीजन 2020 का आधिकारिक रूप से अब समापन हो गया है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भागों के लिए लिए यह मॉनसून काफी निराशाजनक रहा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस मॉनसून सीजन में 37% कम वर्षा प्राप्त हुई जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 7% कम वर्षा दर्ज की गई।
30 सितंबर को मॉनसून उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भागों से विदा ले चुका है अब अगले 2 या 3 दिनों के दौरान कई और भागों से मॉनसून की विदाई हो जाएगी। पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में शुष्क मौसम जारी है। शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाएँ चल रही हैं।
इस बीच एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी पर विकसित हो गया है। यह सिस्टम उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा। लेकिन इसका प्रभाव पूर्वी उत्तर प्रदेश के 1 या 2 जिलों में ही देखा जाएगा। दक्षिण-पूर्वी जिलों में छिटपुट वर्षा 4 से 8 अक्टूबर के दौरान हो सकती है। 7 और 8 अक्टूबर को वाराणसी, प्रयागराज और उसके आसपास के जिलों में हल्की वर्षा होने की संभावना है। राज्य के बाकी हिस्सों में मौसम शुष्क बना रहेगा।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
आने वाले दिनों में पश्चिमी उत्तर-प्रदेश में मौसम मुख्यतः शुष्क बना रहेगा। इसलिए फसलों में उचित नमी बनाए रखें। पूर्वी उत्तर-प्रदेश में बादल छाए रहने के साथ हल्की वर्षा के अनुमान हैं, ऐसे में कटी हुई फसलों की शीघ्र मड़ाई करें और सुरक्षित स्थानों पर रखें।
अत्यधिक जल जमाव के कारण धान व मक्का की फसल में तना सड़न रोग की समस्या हो सकती है। बेल वाली सब्जियों में फल सड़न हो सकता है, इसलिए फसलों में पानी का जमाव न होने दें। मौसमी सब्जियों की बुवाई करने के लिए अभी मौसम उपयुक्त है। मूंग व उड़द की फसलों में फली बनने की अवस्था में पर्याप्त नमी बनाए रखें।
गन्ने की फसल में जल निकासी की व्यवस्था करें तथा निराई-गुड़ाई करें। फसलों में अभी रोगों और कीटों के संक्रामण की संभावना बनी हुई है। ऐसे में किसानों को सुझाव है कि फसलों की निगरानी करते रहें और लक्षण दिखाई देने पर उचित उपचार करें।
गन्ने की फसल में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 250 मि.ली. 1000 लीटर पानी की दर से घोलकर प्रति हेक्टर छिड़काव करें। प्याज़ के लिए खेत तैयार करने के समय 200-250 क्विंटल गोबर की खाद डालें। रोपाई की तैयारी करते समय आखिरी जुताई से पहले 35 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 50 कि.ग्रा. फोस्फोरस तथा 40 कि.ग्रा. पोटाश प्रति हेक्टर की दर से मिलाएँ।
Image credit: Live Mint
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