आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में 5 से 11 नवंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल
उत्तर प्रदेश में मौसम लगभग पूरी तरह से शुष्क बना हुआ है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगभग दो महीने से मौसम शुष्क बना हुआ है। जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में अक्टूबर के पहले पखवाड़े में छिटपुट वर्षा हुई थी।
इस समय उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में न्यूनतम तापमान सामान्य से 2 या 3 डिग्री नीचे चल रहा है। अधिकतम तापमान भी सामान्य या उससे कुछ कम है।
उत्तर प्रदेश में इस सप्ताह भी बारिश की बिल्कुल भी संभावना नहीं है। पूरब में वाराणसी से लेकर मध्य में लखनऊ और पश्चिम आग्रा, मेरठ, गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर तक मौसम पूरी तरह से शुष्क बना रहेगा। सुबह के समय कुछ इलाकों में धुंध या कुहासा छा सकता है।
उत्तर पश्चिम दिशा से ठंडी और शुष्क हवाएं चलती रहेंगी अगले कुछ दिनों में न्यूनतम तापमान में हल्की गिरावट होने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
किसानों को सलाह है कि खरीफ की फसलों की कटाई के पश्चात खेतों को रबी फसलों के लिए तैयार कर बुवाई करें। गेहूं की बुवाई 15-20 नवम्बर तक पूरी कर लेना उचित है।
उन्नत किस्मों जैसे पी.बी.डबल्यू-343, पी.बी.डबल्यू-502, बी.बी.डबल्यू-39, यू.पी-2382, एच.यू.डबल्यू-510 आदि किस्मों में से बीजो का चुनाव करें। बुवाई से पहले बीजों को थाईरम से उपचारित कर लें।
काबुली चना की बुवाई करने के लिए अभी समय उचित है। मध्यम आकार के दानों के लिए 60-80 किग्रा. बीज तथा बड़े दानों के लिए 80-100 कि.ग्रा. बीज प्रयोग कर बुवाई करें।
राई की बुवाई के 15-20 दिन बाद अगर आवश्यकता से अधिक पौधे हैं तो कुछ पौधे निकाल कर पौधो की बीच की दूरी 15 से.मी. बनाएँ तथा बुवाई के 35-40 दिन बाद पहली सिंचाई दें।
मटर की बुवाई करने के लिए भी अभी समय उपयुक्त है, बीजो का चुनाव पन्त मटर-5, रचना, मालवीय मटर-15, अपर्णा मालवीय मटर-2, शिखा आदि किस्मों में से किया जा सकता है।
मसूर की बुवाई भी नवम्बर के पहले पखवाड़े तक सम्पन्न कर लें, पंत मसूर-4, पंत मसूर-5 व नरेंद्र मसूर आदि में से किस्मों का चुनाव किया जा सकता है। सिंचाई की समुचित व्यवस्था होने पर रबी मक्का की बुवाई इन दिनो की जा सकती है। बरसीम की बुवाई के लिए भी समय अनुकूल है।
लहसुन, आलू, मसूर, प्याज़, गाजर, मटर, साग, पालक आदि फसलों की बिजाई का काम भी शीघ्र सम्पन्न करें। टमाटर तथा गोभी की नर्सरी बनाने के लिए भी मौसम अनुकूल है, नर्सरी उठी हुई क्यारियों पर बनायें। यदि नर्सरी में पौध तैयार हो गए हो तो उनकी रोपाई उठी हुई मेड़ों पर करें।
Image credit: Money-control
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