उत्तर प्रदेश में इस साल मार्च महीने में काफी अधिक बारिश हुई है। पहले 15 दिनों में बारिश के साथ कई जगहों पर भारी ओलावृष्टि के कारण फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है। अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, शाहजहाँपुर, बस्ती, बहराइच, अयोध्या, कानपुर, लखनऊ समेत अधिकांश इलाके ऐसे जहां 1 से 15 मार्च के बीच सामान्य से 50% से भी ऊपर वर्षा दर्ज की गई।
कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी और आसपास के भागों में भी बहुत अधिक बारिश मार्च महीने में अब तक हो चुकी है। फिलहाल 15 मार्च के बाद से राज्य के अधिकांश भागों में मौसम शुष्क बना हुआ है। इस सप्ताह यानि 19 से 25 मार्च के बीच उत्तर प्रदेश में अधिकांश जगहों पर अधिकतर दिनों में मौसम शुष्क ही बना रहेगा।
हालांकि 20 से 22 मार्च के बीच दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलावा राज्य के उत्तर-पश्चिमी भागों में छिटपुट बारिश हो सकती है। राज्य में 24 और 25 मार्च को ज़्यादातर जगहों पर तेज़ बारिश की संभावना फिर से बन रही है। उस दौरान एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में आएगा। इसी सिस्टम से 24 और 25 मार्च को कुछ स्थानों पर गर्जना और तेज़ हवाओं के साथ बारिश और ओलावृष्टि होगी। 26 मार्च से राज्य में फिर से मौसम शुष्क हो जाएगा।
इस मौसम का फसलों पर कैसा होगा असर
राज्य में 23 मार्च तक मौसम मुख्यतः शुष्क रहने के अनुमान को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि पक चुकी फसलों की कटाई इससे पहले करने का प्रयास करें। अनाज या कटी फसलों को सुरक्षित स्थानों पर रखें। पिछले दिनों हुई वर्षा के कारण मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी हुई है तथा 24 मार्च से फिर से वर्षा का दौर शुरू होने की संभवना है, ऐसे में अभी फसलों में सिंचाई न करें।
मौसम साफ हो जाने पर ग्रीष्म फसलों की बुवाई जारी करें। मूंग की बुवाई के लिए पूसा बैसाखी, पूसा रत्ना, पूसा विशाल, पूसा-5931, पी.डी.एम-11 आदि किस्मों में से चुनाव कर सकते हैं। बेलवाली सब्जियों और पछेती मटर में यदि चूर्णिल आसिता यानि पाउडरी मिलड्यू का प्रकोप हो तो कार्बेण्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें। मौसम पूर्णतः साफ हो जाने पर सरसों की कटी हुई फसल को भली-भांति धूप में सुखाकर शीघ्र ही गहाई करें।
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