आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में 25 जून से 1 जुलाई के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल
इस मॉनसून सीजन में अब तक पूर्वी उत्तर प्रदेश को काफी अच्छी बारिश मिली है। राज्य के पूर्वी क्षेत्रों में 1 जून से 25 जून तक सामान्य से 96% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई। ऐसा आमतौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश में कम ही देखने को मिलता है जब जून में इतनी अधिक बारिश दर्ज की जाए। दूसरी ओर इसी अवधि में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 34% कम बारिश प्राप्त हुई है।
इस बीच उत्तर प्रदेश में बारिश बढ़ने वाली है। 25 और 26 जून को पूर्वी और मध्य जिलों में भारी से अति भारी वर्षा होने की संभावना है। 27 और 28 जून को उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में मध्यम बारिश देखने को मिल सकती है। कुछ भागों में भारी बारिश की भी संभावना रहेगी।
29 जून से वर्षा की गतिविधियों में कमी आना शुरू हो जाएगी, परंतु कई स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा जारी रहेगी, विशेषकर पूर्वी तथा मध्य जिलों में लगातार मॉनसून की सक्रियता देखने को मिलेगी।
वर्षा की संभावना को देखते हुए कह सकते हैं कि इस सप्ताह उत्तर प्रदेश पर मॉनसून पूरी तरह से मेहरबान रहेगा। हालांकि उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में मॉनसून की मेहरबानी कभी-कभी भारी पड़ जाती है। इस सप्ताह तराई वाले जिलों में कहीं-कहीं पर बाढ़ जैसी स्थितियाँ पैदा हो सकती हैं।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
वर्षा के अनुमान को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि सिंचाई और छिड़कावों की प्रतिक्रियाओं को रोक दें। पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसान खेतो में नालियाँ आदि बनाएँ जिससे मूसलाधार बारिश के कारण अत्यधिक पानी को निकाला जा सके।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के असिंचित क्षेत्रों के किसानों को सुझाव है कि खेतो में पर्याप्त नमी आ जाए तो खरीफ फसलों की बुआई शुरू करें। टमाटर, भिंडी, मिर्ची, घिया, करेले की फसलों में जल जमाव न होने दें।
पर्याप्त नमी व मौसम अनुकूल हो जाने पर अरहर की बुवाई की जा सकती है। बुआई से पहले बीजों का राइज़ोबियम और पीएसबी कल्चर अवश्य करें। अरहर की उन्नत किस्में पारस, मानक, पूसा-992, पूसा-2001, पूसा अरहर-16 आदि है।
मक्के की बुआई के लिए खेत तैयार करें। इसकी उन्नत संकर किस्में हैं ए एच-421 व ए एच-58 तथा उन्नत संकुल किस्में पूसा कम्पोजिट-3, पूसा कम्पोजिट-4 आदि। प्रति हेक्टेयर बुआई के लिए 20-21 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त होगा। धान की नर्सरी में अगर पौधों का रंग पीला पड रहा है तो इसमे लौह तत्व की कमी हो सकती है, इसके निदान के लिए 0.5% फेरस सल्फेट 0.25% चूने के घोल का छिडकाव साफ मौसम में करें।
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