
आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में 30 जुलाई से 5 अगस्त के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और दक्षिणी जिले अभी भी सूखे की चपेट में है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीते लगभग दो महीनों में सामान्य से 30% कम वर्षा हुई है। जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में 20% अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इस बीच मॉनसून की हलचल उत्तर प्रदेश पर बढ़ी है।
हमारा अनुमान है कि 30 जुलाई से 3 अगस्त के बीच उत्तर प्रदेश के अधिकांश भागों में हल्की से मध्यम वर्षा की गतिविधियां जारी रहेंगी। इस दौरान एक-दो स्थानों भारी वर्षा भी संभव है। लेकिन कुछ जिलों में इस सप्ताह भी अच्छी वर्षा के आसार फिलहाल नहीं हैं। हालांकि ज़्यादातर जगहों पर अच्छी बारिश से सप्ताह के अंत तक वर्षा के आंकड़ों में सुधार संभव है।
उत्तर प्रदेश में 4 अगस्त से मॉनसून फिर से कमजोर हो जाएगा जिससे ज़्यादातर जगहों पर मौसम एक बार फिर लगभग शुष्क हो जायेगा। हालांकि हल्की बारिश की गतिविधियां कुछ स्थानों पर रुक-रुक कर जारी रहेंगी।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
वर्षा की संभावना को देखते हुए सुझाव है कि सिंचाई व छिड़काव अभी न करें। सुगंधित एवं कम अवधि की धान की क़िस्मों की रोपाई जल्द से जल्द सम्पन्न करें। 20-22 दिन पूर्व रोपे गए धान के खेतों में सोहनी-निकौनी कर खरपतवारों का समुचित प्रबंधन करें। समय से निकौनी करने से पौधों के जड़ों में भरपुर वायु संचार होगा और फसल की वृद्धि अच्छी होगी व कल्ले भी स्वस्थ निकलेंगे।
धान के मेड़ों पर अरहर की बुवाई करें। इसके लिए देर से पकने वाली प्रजाति बहार, नरेंद्र अरहर-1, मालवीय चमत्कार जैसी क़िस्मों का चयन करें जिसकी कटाई रबी फसलों की कटाई के पश्चात् हो। ऐसा करने से कीटों के प्रबंधन में मदद मिलती है।
मक्के की फसल में तना छेदक कीट का प्रकोप हो तो प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें। मौसम साफ होने पर 30 मिली कोराजेन 60 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
सोयबीन की फसल में भी खरपतवारों पर नियंत्रण करें। निराई गुड़ाई करें और मौसम अनुकूल होने पर दावा का छिड़काव करें। मूँगफली की फसल में 100 कि.ग्रा. जिप्सम प्रति हेक्टर बुवाई के तीन सप्ताह बाद मौसम अनुकूल होने पर दें।
Image credit:The Hindu
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार:skymetweather.comअवश्य लिखें।