[Hindi] उत्तर प्रदेश का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (23 से 29 जुलाई, 2020), किसानों के लिए फसल सलाह

July 23, 2020 12:05 PM | Skymet Weather Team

आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में 23 से 29 जुलाई के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल

बीते सप्ताह उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में भी बारिश हुई है। जहां लंबे समय से मौसम शुष्क बना हुआ था। इस सप्ताह फिर से उत्तर प्रदेश में भारी वर्षा होने की संभावना है। हालांकि 23 और 24 जुलाई को उत्तर प्रदेश में वर्षा की गतिविधियां काफी कम रहेंगी। इस दौरान पूर्वी तथा उत्तर पूर्वी जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा जारी रह सकती है।

राज्य में 25 जुलाई से बारिश बढ़ने की संभावना है। 26 से 28 जुलाई के बीच उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में मूसलाधार मॉनसून वर्षा होने की संभावना है। उस दौरान मॉनसून की रेखा उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगी जिससे राज्य के तराई क्षेत्रों में काफी अच्छी बारिश होगी। 26 से 28 जुलाई के बीच फ़तेहपुर, बांदा, चित्रकूट, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, प्रतापगढ़, अयोध्या, बाराबंकी, हरदोई समेत पूर्वी तथा मध्य क्षेत्रों में मूसलाधार वर्षा हो सकती है।

29 जुलाई से बारिश की गतिविधियों में कुछ कमी आएगी परंतु हल्की से मध्यम वर्षा राज्य के कई जिलों में जारी रहने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह

वर्षा के जारी रहने के अनुमान को देखते हुए फसलों में किसी भी प्रकार का छिड़काव अभी न करें। बारिश के पानी को खेतों में रोकने के लिए मेड़ों को मजबूत करें। जबकि सब्जियों की फसलों में जल-जमाव न होने दें।

धान की रोपी हुई फसल (रोपाई के एक सप्ताह के अंदर) में जो पौधे मर गए हों या कमजोर दिख रहे हों उन्हें निकाल कर उनकी जगह स्वस्थ्य पौध लगा दें। धान के खेत में नील हरित शैवाल के प्रयोग से लगभग 20 से 25 कि.ग्रा. नेत्रजन प्रति हेक्टेयर भूमि को प्राप्त होती है, लेकिन ध्यान रहे कि इसके प्रयोग के बाद कम से कम 15 दिनों तक धान के खेत में पानी लगा रहना चाहिए ताकि पूरे खेत में यह फैल सके। इसके प्रयोग से मृदा की संरचना में सुधार तो होता ही है साथ ही मृदा में फॉस्फोरस की उपलब्धता बढ़ती है तथा अम्लीय भूमि में आयरन की विषाक्तता भी कम होती है।

मौसम अनुकूल होने पर गन्ने में मिट्टी चढ़ाएँ। फसलों के अच्छे विकास तथा खरपतवारों की रोकथाम के लिए निराई-गुड़ाई आवश्यक होती है। तिल की फसल में बुवाई के 15-20 दिन बाद प्रथम निराई-गुड़ाई करें। मक्का की फसल को वर्षा के पानी और तेज़ हवा से बचाने के लिए जड़ों पर मिट्टी चढ़ा दें।

Image credit: hakahakaionlin

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