आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में 2 से 8 जुलाई के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल
उत्तर प्रदेश में इस साल मॉनसून समय से पहले आया और पूर्वी उत्तर प्रदेश को बहुत अच्छी बारिश मिली है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1 जून से 1 जुलाई के बीच सामान्य से 79% अधिक बारिश दर्ज की गई है जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वर्षा की गतिविधियां काफी कम रही हैं और पश्चिमी भागों में सामान्य से 36% कम वर्षा हुई है। हालांकि पिछले दो दिनों के दौरान उत्तर प्रदेश में वर्षा की गतिविधियां काफी कम रही है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में फिर से 2 जुलाई से बारिश की गतिविधियां एक बार फिर बढ़ जाएंगी। 3 जुलाई से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी हल्की बारिश शुरू होने की संभावना है। 4 जुलाई से 8 जुलाई के बीच उत्तर प्रदेश के लगभग सभी भागों में अच्छी बारिश के आसार हैं। इस दौरान एक-दो स्थानों पर भारी मॉनसून वर्षा भी संभव है। कुल मिलकर यह पूरा सप्ताह उत्तर प्रदेश के लिए बारिश के लिहाज से काफी अच्छा रहने वाला है। बारिश की गतिविधियां बढ़ने से गर्मी तथा उमस से भी छुटकारा मिलेगा।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
वर्षा की गतिविधियों में बढ़ोतरी के अनुमान को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि खेतों में खड़ी फसलों व सब्जियों में जल-जमाव रोकने के लिए नालियाँ बनाएँ। दवाओं और उर्वरकों का छिड़काव अभी न करें। 20-25 दिन के धान की पौध की मुख्य खेतों में रोपाई जारी रखें।
मौसम अनुकूल होने पर खरीफ प्याज़ की नर्सरी बनाई जा सकती है, नर्सरी बेड को ज़मीन से 15 से.मी. ऊंचा बनाएँ। खरीफ प्याज़ की उन्नत किस्में एग्रीफाउंड, डार्क रेड, एन-23 आदि में से बीजों का चुनाव करें। जिन इलाको में प्याज़ की नर्सरी तैयार हो चुकी हो वहाँ रोपाई के लिए मुख्य खेतों को तैयार करें।
अरहर, मक्का, उड़द के बीजों की भी व्यवस्था कर लें तथा मौसम अनुकूल हो जाने पर बुवाई करें। अरहर की एक हेक्टेयर की बुवाई हेतु 20 कि.ग्रा बीज पर्याप्त होता है। 20 कि.ग्रा. नेत्रजन, 40 से 50 कि.ग्रा. फास्फोरस देकर उर्वरता प्रबंधन करें। 20 कि.ग्रा. डालने से वानस्पतिक वृद्धि अच्छी होती है और दाने गुणवत्तापूर्ण होते हैं।
टिड्डी दल के आक्रमण की आशंका इन दिनों बनी हुई है। इसलिए फसलों की सतत निगरानी रखें और तीव्र ध्वनि उत्पन्न करने वाले यंत्रो व उपकरणो से तेज़ ध्वनि निकाल कर टिड्डी दल को दूसरी दिशा में उड़ाने का प्रयत्न करें। सब्जियों तथा अन्य खड़ी फसलों पर नीम तेल का घोल छिड़कें। अगर खेतों में टिड्डियों का हमला दिखाई दे तो खेत में जुताई करें या पानी लगाकर छोड़ दें।
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