उत्तर प्रदेश में 7 से 13 जनवरी के बीच संभावित मौसम पूर्वानुमान और फसल सलाह
उत्तर प्रदेश में लंबे समय बाद बारिश हुई है। जनवरी के पहले हफ्ते में हुई यह बारिश मुख्यतः पश्चिमी और मध्य जिलों पर ही केन्द्रित रही। पूर्वी हिस्सों में छिटपुट वर्षा दर्ज की गई। जबकि पश्चिमी हिस्सों में कुछ स्थानों पर भारी बारिश और ओलावृष्टि भी हुई। पश्चिमी जिलों में सूखे मौसम जैसे हालात मॉनसून और पोस्ट मॉनसून सीजन में बने रहे। अब इसमें बदलाव आया है।
1 जनवरी से 6 जनवरी के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 534% अधिक वर्षा मिली है। इस दौरान औसतन लगभग 2 मिमी बारिश होती है जबकि औसत से 534% अधिक 11.4 मिमी वर्षा मिल चुकी है। दूसरी ओर पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस अवधि के दौरान सामान्य से 83% कम वर्षा हुई है।
बदले मौसम के कारण जनवरी के पहले हफ्ते में उत्तर प्रदेश के लगभग सभी भागों से शीतलहर का प्रकोप खत्म हो गया था।
8 जनवरी को एक बार फिर उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों में छिटपुट बारिश की गतिविधियां हो सकती हैं। उसके बाद समूचे उत्तर प्रदेश में पूरे हफ्ते के लिए मौसम साफ और शुष्क हो जाएगा। 11 जनवरी, 2021 से पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा 12 जनवरी से पूर्वी उत्तर प्रदेश में बर्फीली हवाएँ पहाड़ों से होकर आएंगी जिससे राज्य में न्यूनतम तापमान में फिर से भारी गिरावट होगी।
12 जनवरी से तापमान में व्यापक कमी के चलते उम्मीद कर सकते हैं कि शीतलहर का प्रकोप राज्य के तराई क्षेत्रों समेत कुछ भीतरी जिलों में देखने को मिल सकता है। यह 2020-21 के सर्दी के मौसम की आखिरी शीतलहर होगी।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
मौसम में अनियमितता के कारण फसलों में कीटों और रोगों के संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए फसलों में नियमित निगरानी करते रहें।
मटर में यदि पाउडरी मिल्ड्यू के लक्षण दिखाई दें तो इसके नियंत्रण के लिए घुलनशील सल्फर की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर साफ मौसम में स्प्रे करें।
गेहूँ की फसल में यदि दीमक का प्रकोप हो तो मौसम साफ हो जाने पर क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. 2 लीटर प्रति एकड़ 20 किग्रा बालू में मिलाकर शाम के समय खेतों में भुरकाव करें। चने कि फसल को फली छेदक से बचाने हेतु फेरोमोन ट्रेप लगाए जा सकते हैं।
Image credit: The Economic Times
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