आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में 11 से 17 जून के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल
उत्तर प्रदेश में इस सप्ताह मौसम का मिलाजुला असर रहेगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस सप्ताह के आखिर या अगले सप्ताह के आरंभ में मॉनसून के दस्तक देने की संभावना है। जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शहरों को अभी लंबा इंतज़ार करना होगा।
मॉनसून के आगमन से पहले इस सप्ताह उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश होने के आसार हैं। पूरब में अपेक्षाकृत अधिक सक्रियता रहेगी जबकि पश्चिम में मौसम ज़्यादा सक्रिय नहीं रहने वाला है। 11 और 12 जून को उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा हो सकती है। पश्चिमी भागों में भी इस दौरान हल्की बारिश हो सकती है।
उत्तर प्रदेश में अनुमान है कि 13 जून से बारिश रफ्तार पकड़ेगी और पूरब में दक्षिणी भागों से लेकर तराई क्षेत्रों तक व्यापक बारिश देखने को मिलेगी। 13 से 17 जून के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुछ स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है। जबकि पश्चिमी हिस्सों में इस दौरान भी हल्की बारिश की ही संभावना है, वो भी तराई क्षेत्रों में।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मौसम मुख्यतः शुष्क रहने के अनुमान को देखते हुए किसानों को सलाह है कि खरीफ फसलों कि बुआई जारी रखें। खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करते रहें। पूर्वी उत्तर प्रदेश में रुक-रुक कर वर्षा होते रहने की संभावना है। ऐसे में मौसम के अनुकूल ही खेती से जुड़ी गतिविधियां सम्पन्न करें। वर्षा संभावित क्षेत्रों में सिंचाई और छिड़काव अभी न करें।
धान की नर्सरी के लिए खेतो में क्यारियाँ तैयार करें। एक हेक्टेयर क्षेत्र में धान रोपाई हेतु 1000 वर्ग मीटर मे नर्सरी तैयार करें। बुआई से पहले बीज को 2 कि.ग्रा. DAP तथा 1 कि.ग्रा. MOP मिट्टी में अच्छी तरह मिला लें। एक हेक्टेयर धान की रोपाई हेतु 15 से 20 कि.ग्रा. उपचारित एवं अंकुरित बीज को नर्सरी में लगाएं। नर्सरी में बुवाई से पहले बीजो को उपचारित करने के लिए प्रति कि.ग्रा. बीज को 2 ग्राम बावस्टिन तथा 0.5 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिन तथा 2 लीटर पानी की दर से घोल में 12-14 घंटे तक भिगो कर रखें, उसके बाद बीजो को घोल से निकाल कर किसी छायादार स्थान पर 24-36 घण्टे के लिए ढककर रखें और पानी का हल्का-हल्का छिडकाव करते रहें, बीजो में से अंकुर निकल जाने पर नर्सरी में बीजो को डाल दें।
मूंग की फसल में अगर 70 से 80% तक फलियाँ पक चुकी हों तो तुरंत तुड़ाई कर लें। मूंग की फसल में एफिड जैसे कीटों के प्रकोप से सुरक्षा हेतु 1500 पी.पी.एम. संद्रता वाले नीम तेल का 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर समान रूप से सायं काल खेत में छिड़काव करें।
अरहर की बुवाई के लिए समय अनुकूल है। मानक, पारस, पूसा अरहर-16, पूसा 2001, पूसा 992 आदि क़िस्मों में से बीजों का चुनाव कर सकते हैं।
Image credit: Scroll.in
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।