[Hindi] राजस्थान का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (6 से 12 सितंबर, 2020), किसानों के लिए फसल सलाह

September 6, 2020 3:14 PM | Skymet Weather Team

आइए जानते हैं 6 से 12 सितंबर के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल।

राजस्थान में सितंबर महीने में बारिश की गतिविधियां कम हो जाती हैं। हालांकि पिछले कुछ दिनों के दौरान पूर्वी राजस्थान में अच्छी बारिश जारी रही है।

1 जून से अब तक राजस्थान के पश्चिमी भागों में सामान्य से 30% अधिक लगभग 310 मिमी बारिश हुई है। वहीं पूर्वी राजस्थान में 535 मिमी वर्षा हुई है जो सामान्य के आसपास है।

अब मॉनसून की वापसी शुरू होने का समय है। इस सप्ताह के आखिर तक या अगले सप्ताह के शुरुआती दिन में ही पश्चिमी राजस्थान से मॉनसून अपनी वापसी की राह पर निकल सकता है। इसके साथ ही इस हफ्ते बारिश की उम्मीदें समूचे राजस्थान में बहुत कम हो गई हैं।

हालांकि 6 से 8 सितंबर के बीच पूर्वी राजस्थान, विशेषकर दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश होने की संभावना है।

जयपुर, चुरू, गंगानगर, जैसलमर, बाड़मेर, बीकानेर सहित अधिकांश भागों में इस सप्ताह मौसम साफ और शुष्क रहेगा। तापमान में वृद्धि होगी जिससे गर्मी अभी फिर से वापसी कर सकती है। कुछ इलाकों में पारा 40 डिग्री के भी करीब पहुँच सकता है।

राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह

किसान बंधु सिंचाई व छिड़काव मौसम के अनुकूल ही करें। फसलों में कीटों की निगरानी करते रहें। सितम्बर माह में गन्ने की फसल में पाइरिला कीट का प्रकोप बढ़ जाता है। इसके नियंत्रण के लिए डाइमिथोयेट (30 ई.सी.) एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। गन्ने में तना छेदक कीटों के नियंत्रण के लिए डरसबान 10 जी कण 16 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से डालें।

धान की फसल में अधिकतम फुटान की अवस्था में पत्तियों पर नीले रंग के आंख के आकार के धब्बे बनते हैं जो भूरे रंग से घिरे रहते हैं। रोग का प्रकोप अधिक होने पर बालियों से नीचे तने काले पड़ कर गल जाते हैं। रोग के लक्षण दिखाई देने पर हिनोसान 0.15 प्रतिशत 150 ग्राम 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

बाजरे की फसल में सिट्टे निकलते समय व दाना बनते समय भूमि में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए। सिट्टे निकलते समय 250 ग्राम थायोयूरिया 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। इसका दूसरा छिड़काव पहले के 10-15 दिन बाद करने से पैदावार में वृद्धि होती है।

ग्वार की पछेती फसल में सफेद मक्खी, हरा तेला जैसे रस चूसक कीटों का प्रकोप पाया जा सकता है। इनके नियंत्रण के लिए थायोमेथोक्जाम (25 डब्लू. जी.) 0.5 ग्राम अथवा एसिटामिप्रिड (20 एस.पी.) 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। 15 दिन के अन्तराल पर दूसरा छिड़काव करें।

तोरिया की बिजाई हेतु सितम्बर माह का पहला पखवाड़ा उपयुक्त समय है। जिन खेतों में तोरिया के बाद गेंहूँ की फसल लेनी हो वहाँ टी.एल.15 किस्म को सितम्बर के पहले दस दिनों में 3 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर की दर से बोएँ। तोरिया की सिंचित फसल में 20 किग्रा नत्रजन व 20 किग्रा फास्फोरस प्रति हेक्टेयर बुवाई के समय दें। शेष 20 किग्रा नत्रजन पहली सिंचाई पर दें। असिंचित फसल में 20 किग्रा नत्रजन व 10 किग्रा फास्फोरस प्रति हेक्टेयर केवल बिजाई के समय दें।

फूल गोभी की मध्यम-पछेती फसल की बिजाई सितंबर माह में कर सकते हैं। इसकी फसल सर्दी अर्थात दिसम्बर-जनवरी माह में मिल जाती है। एक हेक्टेयर में रोपाई करने के लिए पौध तैयार करने हेतु 300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई से पहले बीज को कैप्टान या बाविस्टिन से 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। 3 से 4 सप्ताह की पौध रोपाई के लिए उपयुक्त होगी।

Image credit: DNA India

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