आइए जानते हैं 27 सितंबर से 3 अक्तूबर के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल।
काफी दिनों के बाद अजमेर में काफी अच्छी बारिश देखने को मिली है। चूरू में भी हल्की बारिश हुई है। कोटा तथा उदयपुर में पिछले 24 घंटों के दौरान मध्यम वर्षा की गतिविधियां देखी गई है।
राजस्थान में अब तक मॉनसून 2020 के प्रदर्शन पर नजर डालें तो पश्चिमी राजस्थान के भागों में सामान्य से 24% अधिक वर्षा प्राप्त हुई है। पूर्वी राजस्थान में लगभग सामान्य वर्षा हुई है। यहाँ केवल तीन प्रतिशत की कमी है।
अब राजस्थान से मॉनसून विदा होने वाला है। पश्चिमी राजस्थान से मॉनसून की विदाई की सामान्य तारीख 17 सितंबर है। परंतु इस बार यह लगभग 11 दिन के विलंब से विदा होना शुरू होगा।
एक विपरीत चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पश्चिमी राजस्थान के ऊपर बनने वाला है जिससे हवाओं की दिशा पश्चिमी हो जाएगी तथा हवा में नमी काफी कम हो जाएगी।
राजस्थान में अब बारिश होने की संभावना बहुत कम है। सुबह व रात के तापमान में कुछ गिरावट हो सकती है। जबकि दिन के तापमान में हल्की वृद्धि होने के आसार हैं। सितंबर के अंत तक मॉनसून लगभग पूरे राजस्थान से विदा हो सकता है।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
शुष्क मौसम के अनुमान को देखते हुए किसानों को सलाह है कि खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई दें। रोगों और कीटों की निगरानी करते रहें। संक्रामण होने पर उचित उपाय करें।
दलहन की पक-चुकी फसलों की कटाई करें व भली-प्रकार सुखा कर गहाई करें। रबी-फसलों की बुवाई से पहले खेतों के आस-पास से खर-पतवारों को पूर्णतः हटा दें।
तारामीरा की खेती प्राय: सीमित नमी वाले बारानी क्षेत्रों में की जाती है। इसकी बुवाई उपलब्ध नमी के आधार पर सितम्बर के अन्तिम सप्ताह से अक्टूबर के दूसरे सप्ताह के बीच कर देनी चाहिए। एक हेक्टर की बिजाई के लिए 5 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त होता है। बिजाई कतारों में 40-45 से.मी. की दूरी पर करें। बुवाई के समय 30 कि.ग्रा. नत्रजन व 15 कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति हेक्टर की दर से दें।
शीत-कालीन टमाटर की फसल के लिए नर्सरी की तैयारी सितम्बर माह में करनी चाहिए। 1 हेक्टर में पौध की रोपाई के लिए 400-500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। संकर किस्मों के लिए बीज की दर 150-200 ग्राम पी.आर. प्रति हेक्टर पर्याप्त होगी।
बारानी क्षेत्रों में सरसों की बिजाई अक्टूबर माह के प्रथम पखवाड़े में 4-5 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टर कि दर से उपयोग करते हुए करें। बुवाई से पूर्व बीज को 2.5 ग्राम मेन्कोजेब प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।
जिन इलाकों में वर्षा के कारण मिट्टी में पर्याप्त नमी बन जाती है, वहाँ चने की अगेती बिजाई करना लाभदायक होगा। नमी को देखते हुए अगेती चने की बुवाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े में कर दें व बारानी क्षेत्रों में नमी को देखते हुए बिजाई 7 से 10 से.मी. गहराई पर करें। एक हेक्टर के लिए 60 से 80 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त होगा। जड़गलन व उकठा रोग से बचाव के लिए बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। बिजाई के समय 10 किलो नत्रजन व 20 कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति हेक्टर की दर से दें।
Image credit: Yourstory
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