आइए जानते हैं 13 से 19 सितंबर के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल।
राजस्थान में इस सप्ताह भी गर्मी का प्रकोप अधिकांश इलाकों पर रहेगा। ज़्यादातर जिलों में पूरे सप्ताह मौसम सूखा रहेगा। हालांकि सप्ताह के आखिर में व्यापक बारिश की उम्मीद है जिससे गर्मी से बहुप्रतीक्षित राहत मिल सकती है।
13 और 14 सितंबर को बांसवाड़ा, डुंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, सिरोही में छिटपुट बारिश की उम्मीद है। 15 को इन भागों के साथ-साथ बाड़मेर, जैसलमर में भी बारिश की गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं।
17 सितंबर को चुरू और आसपास के भागों में हल्की वर्षा हो सकती है। 18 को जयपुर समेत मध्य भागों में बारिश का अनुमान है। जबकि 19 सितंबर को जयपुर, कोटा, सवाईमाधोपुर, समेत पूर्वी और मध्य राजस्थान के अधिकांश इलाकों में बारिश की अच्छी गतिविधियां संभावित हैं।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
जिन क्षेत्रों में वर्षा में कमी है वहाँ गन्ने की फसल में 10 से 15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें। गन्ने की फसल को पायरिला कीट के प्रकोप से बचाने हेतु डाईमिथोएट 30 ईसी. 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
मूंगफली की फसल मे टिक्का रोग के नियंत्रण हेतु 1 मिली हैग्जाकोनाजोल 5 ईसी. या 1 मिली टेबूकोनाजोल 25 ईसी. या कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिड़कें।
तिल की फसल में झुलसा या अंगमारी के लक्षण दिखने पर जाइनेब या मैन्कोज़ेब 1.5 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से पानी मे घोलकर छिड़कें।
ग्वार की पछेती फसल में रसचूसऩे वाले कीटों के निंयत्रण हेतु 0.5 ग्राम थायोमिथोक्जाम 25 डब्लू जी या 0.4 ग्राम एसीटामिप्रिड 20 एस.पी. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़कें।
बाजरे की फसल को अरगट रोग से बचाने हेतु सिट्टे निकलते समय 2 कि.ग्रा. मेन्कोजेब प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। बाजरे की फसल में सिट्टे निकलते समय व दाना बनते समय भूमि में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए। सिट्टे निकलते समय 250 ग्राम थायोयूरिया 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। छिड़काव 10-15 दिन बाद दोहराएं।
दिन का तापमान अधिक होने के कारण बी.टी. कपास में हल्की सिंचाई करें। ज्यादा पानी से होने वाली पैरा-विल्ट की समस्या के नियंत्रण हेतु 1 ग्राम कोबाल्ट-क्लोराइड तथा 100 ग्रा सोडियम बैन्जोएट 100 ली पानी में घोलकर छिड़कें।
धान की फसल में अधिकतम फुटान की अवस्था में पत्तियों पर नीले रंग के आंख के आकार के धब्बे बनते हैं जो भूरे रंग से घिरे रहते हैं। रोग का प्रकोप अधिक होने पर बालियों से नीचे तने काले पड़ कर गल जाते हैं। रोग के लक्षण दिखाई देने पर हिनोसान 0.15 प्रतिशत (150 ग्राम/100 लीटर पानी में घोलकर) छिड़काव करें।
Image credit: DNA India
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