आइए जानते हैं 4 से 10 अक्तूबर के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल।
अक्टूबर के पहले 3 दिनों में पश्चिमी राजस्थान में मौसम पूरी तरह से शुष्क बना रहा। बिलकुल भी बारिश न होने के कारण पश्चिमी भागों बारिश में 100% की कमी इन तीन दिनों में रही। जबकि पूर्वी राजस्थान में छिटपुट बारिश दर्ज की गई। यहाँ तीन दिनों में सामान्य से 76% कम वर्षा हुई है।
मॉनसून राजस्थान के अधिकांश भागों से विदा हो चुका है। लगभग पूरे पश्चिमी राजस्थान से मॉनसून हट गया है। हालांकि पूर्वी जिलों में अभी भी मॉनसून की वापसी में कुछ देरी हो रही है। इस समय मॉनसून की विदाई की रेखा सवाई माधोपुर तथा जवाई डैम तक पहुँच गई है। बाकी हिस्सों से भी मॉनसून अगले कुछ दिनों में विदा हो जाएगा।
इस समय एक निम्न दबाव का क्षेत्र ओडिशा के ऊपर बना हुआ है। यह सिस्टम मध्य भारत की तरफ आगे बढ़ेगा तथा इसके प्रभाव से 9-10 अक्टूबर को राजस्थान के पूर्वी जिलों में छिटपुट वर्षा होने की संभावना है। तेज़ बारिश की उम्मीद उस दौरान भी नहीं है परंतु बादल छाए रहेंगे तथा सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, झालावाड़ आदि जिलों में कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा हो सकती है। संभावित बारिश में भी अभी लगभग 5 या 6 दिन बाकी हैं, हम आपको इसके बारे में लगातार जानकारी देते रहेंगे।;
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
मौसम मुख्यतः शुष्क बने रहने की संभावनाओं को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेतो में पर्याप्त नमी बनाए रखें। फसलों में कीटों और रोगों की सतत निगरानी रखें। अगेती ग्वार की फसल में यदि सफ़ेद मक्खी या जेसिड आदि का प्रकोप हो तो थायोमेथोक्ज़ाम 25 डबल्यू.जी. 5 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।
रबी फसलों के लिए खेतों को तैयार करें। बारानी क्षेत्रों में सरसों की बिजाई अक्तूबर के प्रथम पखवाड़े में कर देनी चाहिए। इन क्षेत्रों में बिजाई हेतु 4-5 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। बुवाई के समय 30 कि.ग्रा. नत्रजन व 15 कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति हेक्टेयर दें। सरसों की फसल में सफेद रोली से बचाव के लिए बिजाई से पहले बीज को एप्रोन (35 एस डी) 6 ग्राम प्रति 5 कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। सिंचित क्षेत्रों में सरसों की बिजाई अक्टूबर माह के अन्त तक 4-5 कि.ग्रा.बीज प्रति हेक्टेयर कि दर से करना उचित होगा।
अगेती चने की बुवाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े में कर दें व बारानी क्षेत्रों में नमी को देखते हुए बिजाई 7 से 10 से.मी. गहराई पर करें। एक हेक्टेयर के लिए 60 से 80 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त होगा। जड़गलन व उकठा रोग से बचाव के लिए बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। बिजाई के समय 10 कि.ग्रा. नत्रजन व 20 कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से दें।
Image credit: Rajasthan Khabre
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