[Hindi] राजस्थान का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (18 से 24 अक्टूबर, 2020), किसानों के लिए फसल सलाह

October 18, 2020 1:57 PM|

आइए जानते हैं 18 से 24 अक्टूबर के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल।

पिछले 24 घंटों के दौरान राजस्थान के दक्षिणी जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा देखी गई। परंतु अक्टूबर के शुरुआत से राजस्थान के अधिकांश भागों में मौसम लगभग शुष्क तथा गर्म बना हुआ है। मॉनसून की वापसी के बाद उत्तर-पश्चिमी दिशा से शुष्क हवाएं चलती हैं तथा दिन के तापमान में वृद्धि हो जाती है।

इस बीच दक्षिणी जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। बारिश की यह गतिविधियां 19 अक्टूबर तक जारी रह सकती हैं। हालांकि मध्य तथा उत्तरी जिलों में मौसम लगभग शुष्क तथा गर्म बना रहेगा।

21 तारीख के बाद से रात के तापमान में कुछ गिरावट होने की संभावना है। सुबह तथा रात का मौसम शीतल बना रहेगा परंतु दिन गर्म ही बने रहेंगे। इसके कारण रात तथा दिन के तापमान में अंतर काफी अधिक रहेगा।

नवंबर तथा दिसंबर के महीने में राजस्थान के उत्तरी जिलों में वर्षा की गतिविधियां एक बार फिर शुरू हो जाती हैं। जम्मू कश्मीर तथा पहाड़ी क्षेत्रों में पश्चिमी विक्षोभ सशक्त होने लगते हैं जिनका प्रभाव उत्तर भारत पर भी दिखाई देता है उसी के कारण राजस्थान के उत्तरी जिलों में कभी-कभी सर्दी के मौसम में वर्षा देखी जाती है।

परंतु अभी फिलहाल अगले 8-10 दिनों तक उत्तरी भागों में वर्षा की संभावना बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रही।

राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह

सारसो की बुआई से पहले खेत में 300 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से जिप्सम मिलाये। जिप्सम में गंधक की प्रचुर मात्रा होती है जिससे सरसों की फसल में तेल की मात्रा,उपज व रोग-रोधी क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है।

चने की अच्छी पैदावार के लिए20कि.ग्रा. नत्रजन व40कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति हेक्टर की दर से बिजाई से पहले दें। जड़ गलन व उकठा रोग से बचाव के लिए बीज को बाविस्टीन से 2 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। दीमक प्रभावित खेतों में हानि से बचाव हेतु बीज को क्लोरोपायरीफोस 400 मि.ली. प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें।

सितम्बर मे बोई गयी बैंगन की अक्टूबर मे रोपाई की जा सकती है। रोपाई वाले खेत मे अन्तिम जुताई से पहले 60 किलो नत्रजन,80 किलो फास्फोरस व 60 किलो पोटाश प्रति हेक्टर की दर से मिलायें। रोपाई मे कतारों के बीच की दूरी 60-70 से. मी. व पौधे की दूरी 60 से. मी. रखें।

कीनू के पौधों पर आये वाटर स्प्राउट (गुल्ला) काटकर निकाल दें। कटे हुये भाग पर बोर्डो पेन्ट या कापर औक्सी क्लोराइड लगायें।

Image credit:NewsClick

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