[Hindi] राजस्थान का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान और फसल सलाह (15 से 21 नवंबर, 2020)

November 15, 2020 6:42 PM | Skymet Weather Team

आइए जानते हैं 15 से 21 नवंबर के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल।

राजस्थान में लंबे समय बाद आज कुछ इलाकों में बारिश हुई। दिवाली के अगले दिन यानि 15 नवंबर को उत्तरी शहरों में कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा दर्ज की गई। उत्तर भारत पर आए पश्चिमी विक्षोभ के चलते उत्तर भारत के पहाड़ों पर मौसम बदला है और मैदानी इलाकों में भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना था। इसी सिस्टम के कारण बारिश हुई है।

उम्मीद है कि 16 और 17 नवंबर को भी उत्तर-पूर्वी राजस्थान के कुछ इलाकों में बूंदाबांदी या हल्की वर्षा देखने को मिलेगी। इस दौरान भरतपुर, झुंझुनू, अलवर, सीकर, जयपुर, दौसा और आसपास के इलाकों में वर्षा की अपेक्षा है। जबकि कोटा, सवाई माधोपुर, उदयपुर, जोधपुर, प्रतापगढ़, जैसलमर, बाड़मेर, बीकानेर और जोधपुर समेत बाकी हिस्सों में मौसम पूरे सप्ताह शुष्क और साफ ही बना रहेगा।

जयपुर और चित्तौड़गढ़ सहित कई शहरों में न्यूनतम सामान्य से ऊपर पहुँच गया है। रात का अब तापमान गिरकर फिर से सामान्य के करीब पहुँच जाएगा। राजस्थान के अधिकांश शहरों में न्यूनतम तापमान 12 से 16 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा जबकि अधिकतम तापमान 29 से 32 डिग्री के बीच रिकॉर्ड किया जा सकता है।

राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह

जिन हिस्सों में वर्षा की संभावना है, उन क्षेत्रों में कटी हुई फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। रबी फसलों की बिजाई के लिए मौसम अभी अनुकूल हैखेतों को तैयार कर बुवाई जारी करें। सिंचित क्षेत्रों में चने की पछेती बिजाई मध्य नवम्बर से दिसम्बर के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है। पछेती बिजाई के लिए उन्नत किस्में जी.एन.जी-1488आर.एस.जी-174आर.एस.जी-163आर.एस.जी-145 हैं। एक हेक्टर में बिजाई के लिए 80 कि.ग्रा. बीज प्रर्याप्त होता है।

जिन क्षेत्रों में दीमक का प्रकोप हो वहां बिजाई से पूर्व बीजों को फिप्रोनिल कीटनाशक (5 एस.सी.) के 10 मि.ली. से प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। चने की फसल में प्रारंभिक अवस्था में अथवा 10-15 दिन बाद हरे रंग की छोटी व मुलायम लट का प्रकोप होता है। इसकी रोकथाम के लिए मैलाथियान (5%) चूर्ण/धूल की 25 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से शाम के समय भुरकाव करें अथवा 800 ग्राम एसीफेट (75 एस.सी.) 600-800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें।

दीमक संभावित क्षेत्रों में गेहूँ की बिजाई से पहले अंतिम जुताई के समय 25 कि.ग्रा. क्यूनालफॉस (1.5%) चूर्ण प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि मे मिलाएं या बिजाई से पहले 1.5 मि.ली. इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ एस प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से पानी मे घोल कर बीजोपचार करें व 2 घन्टे के अन्दर बिजाई कर दें।

अक्टूबर के प्रारंभ अथवा समय से बोई गयी सरसों की फसल मे 30-40 दिन बाद पहली सिंचाई करें। पहली सिंचाई के साथ नत्रजन की शेष मात्रा (40 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर) दें, अच्छी बढ़वार हेतु सिंचाई के बाद उचित नमी होने पर निराई व गुडा़ई करें। 

Image credit: The News Minutes

कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।

OTHER LATEST STORIES