आइए जानते हैं 8 से 14 अगस्त के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल। और क्या फसलों से जुड़ी सलाह।
राजस्थान से मॉनसून की विदाई काफी देरी से हुई है। अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक राजस्थान में हल्की बारिश जारी रही थी। दक्षिण-पूर्वी जिलों में तेज बारिश की गतिविधियां भी देखी गई थी। मॉनसून की विदाई के बाद से राजस्थान का मौसम पूरी तरह से शुष्क बना हुआ है।
इस समय राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी भागों पर एक विपरीत चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है जिसे एंटीसाइक्लोनिक सर्कुलेशन कहते हैं। इसके प्रभाव से राजस्थान के अधिकांश भागों में ठंडी और शुष्क उत्तर पश्चिमी हवाएं चल रही है। इसके कारण इस सप्ताह राजस्थान में मौसम पूरी तरह से शुष्क बना रहेगा तथा आसमान भी साफ रहेगा। न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे रहेंगे जबकि अधिकतम तापमान सामान्य के आसपास ही बने रहेंगे।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
खरीफ की तैयार फसलों की कटाई शीघ्र कर रबी फसलों के लिए खेतों को तैयार करें। गेंहूँ की बिजाई 25नवम्बर तक 100कि.ग्रा. प्रमाणित बीज प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करते हुए 20 -23से.मी. की दूरी पर कतारों मे करें।
बुआई से पहले और अन्तिम जुताई के समय 60कि.ग्रा. नत्रजन व 40कि.ग्रा. फास्फोरस पोरे से र्डिल करें। जिन क्षेत्रों मे जस्ते (जिंक) की कमी हो वहाँ 25कि.ग्रा. जिंक सल्फेट भी डालें।
हरे चारे के लिए रिजका की बिजाई का उचित समय नवम्बर माह है, हालांकि इसकी बिजाई 15 दिसम्बर तक की जा सकती है। एक हेक्टर क्षेत्र के लिए 25-30 कि.ग्रा. बीज प्रर्याप्त होता है। रिजके की उन्नत किस्में आनन्द-2,आनन्द-3, सिरसा-8,सिरसा-9, आर एल-88,एन डी आर आई सलेक्शन-9हैं।
शुरू की कटाई में अधिक पैदावार लेने के लिए रिजके के बीज के साथ 2 कि.ग्रा. सरसों अथवा चाइनीज कैबेज अथवा जापानी सरसों का बीज मिलाकर बिजाई करें। बुवाई से पूर्व 20 कि.ग्रा. नत्रजन व 40 कि.ग्रा। फास्फोरस प्रति हेक्टर की दर से दें।
सरसों की फसल में आरम्भिक अवस्था में पेंटेड बग तथा पत्तियां काटने वाले कीटों का प्रकोप होता है। इनकी रोकथाम के लिए क्यूनालफॉस (1.5%) या मेलाथियान (5%) या कार्बेरिल (5%) के 25 कि.ग्रा. चूर्ण का प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करें अथवा मेलाथियान (50%) की 1.5 लीटर मात्रा 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
अक्टूबर के प्रारंभ अथवा समय से बोई गई सरसों की फसल अगर 30-40दिन की हो गई है तो पहली सिंचाई दें। पहली सिंचाई के साथ नत्रजन की शेष मात्रा (40कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर) दें।
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