आइए जानते हैं 17 मई से 23 मई के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल।
राजस्थान के लगभग सभी जिलों में अब मौसम गर्म तथा शुष्क हो गया है। हालांकि, 16 मई को जयपुर और उसके आसपास के इलाकों में हल्की बारिश दर्ज की गई। पाकिस्तान के मध्य भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है जिसके प्रभाव से राजस्थान के मध्य तथा पूर्वी भागों में 17 मई को भी एक-दो स्थानों पर आज गरज के साथ वर्षा या मेघ गर्जना संभव है। 18 मई से राजस्थान के सभी जिलों में फिर से मौसम शुष्क तथा शुष्क हो जाएगा।
मौसम साफ होने के साथ उत्तर-पश्चिमी दिशा से गर्म हवाओं के चलने के कारण लू का प्रकोप बढ़ जाएगा। कई जिलों में 20 या 21 मई से तापमान 45 डिग्री के पार भी जा सकता है। यह सप्ताह राजस्थान के लिए भीषण गर्मी वाला सप्ताह होगा।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
तापमान में वृद्धि की संभावना को देखते हुए किसानो को चाहिए की खड़ी फसलों में हल्की सिंचाई करते रहें। खेतों की गहरी जुताई करके आगामी फसलों के लिए तैयार करें। कोरोना वाइरस (कोविड-19) के प्रकोप के कारण किसानों की कार्य प्रणाली (पर्याप्त मजदूर न मिलने से) प्रभावित हुई है, जिससे किसानों को नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे मे फूल गोभी की अगेती खेती लाभकारी हो सकती है। इसकी अगेती किस्मों की नर्सरी में बुवाई मध्य मई से जून के अन्त तक करनी चाहिए। अभी इसमें अधिक मजदूरों की आवश्यकता भी नहीं होगी। इसके फल अगस्त के अन्त से अक्टूबर के अन्त तक प्राप्त होते हैं और उस समय कीमत भी अच्छी मिलती है।
एक हेक्टेयर में रोपाई के लिए नर्सरी में 600-700 ग्राम बीज प्रर्याप्त होता है। बिजाई से पूर्व बीज को कैप्टान अथवा थाइराम 2-3 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।
बीज को कतारों में बोएँ तथा मिट्टी की बारीक पर्त से ढकें और ऊपर पुआल से ढक दें। क्यारी की उपरी सतह पर नमी बनाये रखने के लिए फव्वारे से सिंचाई करें।
बैंगन की फसल में जालीदार पंख वाली बग एवं फल छेदक कीट का प्रकोप बढ़ रहा है। इससे पौधों की पत्तियां जाली दार हो जाती हैं एवं फलों के अन्दर सुन्डी देखी जा सकती है। इनकी रोकथाम के लिये कार्बोरिल (50 डब्लू.पी.) के 4 ग्राम का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर या मेलाथियान (50 ई.सी.) 1.5 लीटर का 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें अन्यथा कार्बोरिल (5%) चूर्ण/डस्ट की 20 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें। छिड़काव/भुरकाव प्रात: या सन्ध्या काल में ही करें।
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