[Hindi] राजस्थान का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (15-21 मार्च, 2020), किसानों के लिए फसल सलाह

March 15, 2020 9:19 AM | Skymet Weather Team

राजस्थान के लिए हम प्रत्येक शनिवार को साप्ताहिक पूर्वानुमान प्रकाशित करते हैं। एक वीडियो भी बनाते हैं। इसका उद्देश्य किसानों की मदद करना है। किसानों को पहले से मौसम के बारे में जानकारी रहेगी तो सिंचाई, उर्वरकों का छिड़काव, कटाई-मड़ाई जैसे काम करने में आसानी होगी और खेती का प्रबंधन भी बेहतर ढंग से किया जा सकेगा। इससे खेती की लागत में भी कमी आती है।

इस सप्ताह यानि 15 से 21 मार्च, 2020 के बीच राजस्थान के लगभग सभी जिलों में अधिकांश समय मौसम मुख्यतः शुष्क रहने वाला है। चाहे वो श्रीगंगानगर, चुरू, भरतपुर, अलवर, सीकर और जयपुर हो या बीकानेर, जैसलमर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, सवाई माधोपुर हो सभी जगहों पर बारिश की संभावना ना के बराबर होती है।

हालांकि 18 मार्च यानि बुधवार को सवाई माधोपुर, भीलवाडा और जयपुर जैसे मध्य व पूर्वी हिस्सों में हल्की बारिश का अनुमान जताया जा रहा है। 19 और 20 मार्च यानि गुरुवार और शुक्रवार को उत्तरी राजस्थान में छिटपुट बारिश की संभावना है। बारिश की तीव्रता बहुत कम होगी जिससे कोई नुकसान नहीं करेगी।

शुष्क मौसम की संभावना के बीच अनुमान है कि दिन के तापमान में बढ़ोत्तरी होगी। हालांकि छिटपुट जगहों पर आसमान में बादल दिखाई देंगे। लेकिन यह बादल मौसम पर कोई विशेष प्रभाव नहीं डाल सकेंगे।

राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह

इस मौसम को देखते हुए किसानों को सलाह है कि आगामी फसलों के लिए खेतों को तैयार करें। तापमान के हिसाब से गर्मी में बोई जाने वाली भिन्डी की बुआई शुरू कर सकते हैं। साफ दिनों में बिजाई सम्पन्न की जा सकती है। एक हेक्टेयर की बिजाई के लिए 20 कि.ग्रा. बीज प्रर्याप्त होता है। बीज के सख्त आवरण को नरम करने के लिए बुवाई से 12 घंटे पहले बीज को पानी में भिगोकर रखें, इससे अंकुरण अच्छा होता है।

सब्जियों की फसल में गोबर की खाद का प्रयोग अवश्य करें। बुवाई से पहले 60 कि.ग्रा. यूरिया, 200 कि.ग्रा. सुपर फास्फेट व 50 कि.ग्रा. म्यूरेट ओफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालें। लौकी, कद्दू जैसी कुष्मांड समूह की सब्जियों में पत्तियों व फलों पर कीटों एवं फफूंद के प्रकोप की सम्भावना अधिक हो गयी है। रोकथाम के लिए 2 मि.ली. मेलाथियान और एक ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर बेलों पर छिड़काव करें। इस छिड़काव के 15 दिन बाद तक फलों को न तोड़ें।

Image credit: Business Line

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