आइए जानते हैं 14 जून से 20 जून के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल।
राजस्थान में इतना अधिकांश समय और अधिकांश इलाकों में मौसम शुष्क रहेगा। बारिश नहीं होगी। गर्मी और उमस से लोगों का बुरा हाल होगा। पिछले हफ्ते राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी भागों में कई जगहों पर अच्छी वर्षा दर्ज की गई थी। लेकिन इस सप्ताह अच्छी बारिश की उम्मीद नहीं है।
राजस्थान को मॉनसून के लिए भी अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। बारिश की उम्मीद राजस्थान में 18 जून के बाद से है। शुरुआत पूर्वी भागों से होगी और 19 जून को मध्य तथा पश्चिमी भागों में भी बारिश की गतिविधियां देखने को मिलेंगी। यही वह समय होगा जब तापमान में गिरावट और उमस से राहत की उम्मीद कर सकते हैं।
इससे पहले चूरू, गंगानगर, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, जयपुर, कोटा सवाई माधोपुर, प्रतापगढ़, भरतपुर, अलवर, झुंझुनू सहित सभी भागों में तापमान 40 डिग्री से ऊपर रहेगा। उत्तर पश्चिमी हिस्सों में गंगानगर से लेकर जैसलमेर तक कई इलाकों में पारा 45 डिग्री तक जा सकता है। 14 से 17 जून के बीच शुष्क मौसम भले रहेगा लेकिन गरज के साथ हल्की वर्षा की संभावना से इंकार भी नहीं कर सकते।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
गर्म और शुष्क मौसम के अनुमान के बीच हमारा सुझाव है कि खड़ी फसल में उचित नमी बनाए रखें, तथा कीटनाशकों और अन्य छिड़कावों का काम केवल प्रात: काल में सम्पन्न करें। भिन्डी की फसल को अपेक्षाकृत गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। वर्षा-कालीन भिन्डी की फसल की बुवाई का उचित समय 15 जून से 15 जुलाई तक होता है व इसकी बिजाई के लिए 12 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। बिजाई से पूर्व बीज को 4-6 घंटे पानी में भिगोने से अंकुरण अच्छा होता है। बिजाई से पूर्व बीज को 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम अथवा 3 ग्राम थाइराम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। बिजाई कतारों में 45-60 से.मी. की दूरी पर करें तथा पौधे से पौधे की दूरी 30-45 से.मी. रखें।
जून के माह में किन्नू के बागों मे कीटों का प्रकोप अपेक्षाकृत कम होता है, लेकिन इस बार कई बार बरसात हो जाने के कारण कई जगहो पर कीटों का प्रकोप देखा जा रहा है। अत: मेलाथियान (50 ई.सी.) 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। यदि बाग मे सिर्टासिला कीट का प्रकोप दिखाई दे तो ऐसीटामिप्रिड (20 एस.पी.) की 3 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
इन दिनों टमाटर की खड़ी फसल में भी विषाणु रोग का प्रकोप बढ़ रहा है। यह रोग सफेद मक्खियों से फैलता है। इसके नियंत्रण के लिए सफेद मक्खियों का नियंत्रण आवश्यक है। मिथाइल डिमेटोन (25 ई.सी.) की 2 मि.ली. मात्रा अथवा ट्राईएज़ोफॉस (40 ई.सी.) की 2 मि.ली. मात्रा अथवा डाईफेन्थूरान की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
Image credit: TourmyIndia
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