आइए जानते हैं 26 जुलाई से 1 अगस्त के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल। और क्या फसलों से जुड़ी सलाह।
साल 2020 के मॉनसून ने राजस्थान के लोगों को अब तक निराश किया है। 1 जून से 25 जुलाई तक पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 8% कम वर्षा हुई है जबकि पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 31% कम वर्षा मिली है।
इस सप्ताह भी राजस्थान के लिए बहुत अच्छी खबर नहीं है। 26 से 29 जुलाई के बीच राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में मौसम गर्म तथा शुष्क रहने की संभावना है। हालांकि इस दौरान दक्षिण-पूर्वी जिलों में छिटपुट वर्षा जारी रह सकती है। भारी वर्षा की संभावना अभी दिखाई नहीं दे रही। 30 जुलाई से राजस्थान के पूर्वी तथा उत्तर-पूर्वी जिलों में वर्षा की गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। 30 जुलाई से 1 अगस्त के बीच पश्चिमी जिलों में भी वर्षा की गतिविधियां बढ़ सकती हैं।
उस दौरान, झुंझुनू, भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, बूंदी, झालावाड़, भीलवाड़ा तथा चित्तौड़गढ़ आदि जिलों में अच्छी बारिश होने के आसार हैं। 1 अगस्त को हनुमानगढ़, गंगानगर, बीकानेर में भी वर्षा की गतिविधियां बढ़ सकती हैं।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
बारिश कम होने की संभावना को देखते हुए सुझाव है कि खड़ी फसलों में नमी बनाए रखने के लिए सिंचाई करते रहें। बढ़ी नमी के चलते टिड्डियों के अन्डे देने की संभावना है। राज्य के अनेक भागों में टिड्डियां अंडे दे रही हैं। इनसे निकलने वाले फिड़के (निम्फ) हरी फसलों को भारी हानि पहुंचा सकते हैं।
अतः इनका नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है। इसके लिए क्लोरोपाईरीफॉस (20 ई.सी.) 1200 मिली, क्लोरोपाईरीफॉस (50 ई.सी.) 500 मि.ली. अथवा मेलाथियान (50 ई.सी.) 1850 मिली या डेल्टामेथिरिन (2.8 ई.सी.) 625 मिली मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। छिड़काव टिड्डियों के ठहराव की अवस्था में करें। पड़त व अन्य क्षेत्रों, पेड़ों व झाड़ियों में टिड्डियां हों तो उन पर भी छिड़काव अवश्य करें।
आर्द्रता अधिक होने के कारण टमाटर और मिर्च की रोपी जा चुकी पौध की जड़ें काली पड़ रही हैं जिससे पौधे मुरझा कर मर सकते हैं। इसके नियंत्रण के लिए बैविस्टीन की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर पौधों की जड़ों के पास अच्छी तरह छिड़काव करें और उसके बाद हल्की सिंचाई करें। 10 दिन बाद छिड़काव दोहराएँ।
शरद कालीन बैंगन के लिए नर्सरी तैयार करने के लिए समय उचित है। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पौध तैयार करने के लिए एक मीटर चौडी़ व तीन मीटर लम्बी 15-20 क्यारियों में 400-500 ग्राम बीज डालें। बुवाई से पहले बीज को थाइरम या बैविस्टीन से 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें।
Image Credit: DNA India
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