आइए जानते हैं 12 से 18 जुलाई के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल। और क्या फसलों से जुड़ी सलाह।
राजस्थान में मॉनसून की स्थिति अब तक अच्छी नहीं रही है। 1 जून से 18 जुलाई के बीच समूचे राज्य में सामान्य से 23% कम वर्षा हुई है। पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 19% कम जबकि पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 25% कम वर्षा हुई है।
इस सप्ताह भी राजस्थान पर मॉनसून की मेहरबानी और अच्छी बारिश की उम्मीद काफी कम नजर आ रही है।
हालांकि गंगानगर तथा हनुमानगढ़ के साथ-साथ धौलपुर, भरतपुर, अलवर तथा झुंझुनू समेत उत्तरी भागों में अगले 2 दिनों के दौरान हल्की वर्षा संभव है। राजस्थान के शेष जिले लगभग शुष्क ही बने रहेंगे।
24 और 25 जुलाई को पूर्वी राजस्थान में वर्षा की गतिविधियां शुरू हो सकती हैं। उस दौरान दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, जयपुर, बूंदी, कोटा, झालावाड़, टोंक तथा भीलवाड़ा समेत आसपास के भागों में में हल्की से मध्यम वर्षा संभव है। लेकिन पश्चिमी जिलों में 25 जुलाई तक बारिश की संभावना बिलकुल न के बराबर है। हालांकि 26 जुलाई को नागौर, जोधपुर, पाली, जालौर, बीकानेर और चित्तौड़गढ़ में बारिश हो सकती है।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
देशी कपास में कलियां बनते समय चित्तीदार सुंन्डी का प्रकोप होता है। मौसम में आर्द्रता अधिक होने पर, इसका प्रकोप और अधिक होता है। इसके नियंत्रण के लिए साफ मौसम में फेनवेलरेट (20 ई.सी.) की 1 मिली या क्लोरोपाईरीफॉस (20 ई.सी.) 5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।
मौसम में हो रहे बदलाव के साथ ही नरमा कपास में भी कीटों का प्रकोप शुरू हो गया है। इनमें रस चूसने वाले प्रमुख कीट तेला, सफेद मक्खी और चेंपा हैं। इनके नियंत्रण के लिए कीटनाशी मोनोक्रोटोफास (36 एस. एल.) 2 मिली मात्रा अथवा एसीफेट (75 एस. पी.) 2 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
शरद कालीन बैंगन के लिए नर्सरी तैयार करने का या उचित समय है। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पौध तैयार करने के लिए एक मीटर चौडी़ व तीन मीटर लम्बी 15-20 क्यारियों की आवश्यकता होती है। एक हेक्टेयर की रोपाई के लिये 400-500 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। बुवाई से पहले बीज को थाइरम या कैप्टान या बैविस्टीन से 2 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। यदि सूत्रकृमि रोग (निमेटोड) की समस्या हो तो 8 से 10 ग्राम कार्बोफ्यूराँन (3-जी) से प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि उपचारित करें।
तिल की फसल पर प्रारंभिक अवस्था से ही पत्ती लपेटने वाली लट का प्रकोप हो जाता है और अगस्त-सितम्बर माह तक बना रहता है। इसके नियंत्रण के लिए कार्बोरिल (50% घुलनशील चूर्ण) 2 किग्रा या क्यूनालफॉस (25 ई.सी.) एक लीटर 500-600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
Image credit: Rajasthan Trover
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