[Hindi] राजस्थान का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (12-18 जुलाई, 2020), किसानों के लिए फसल सलाह

July 12, 2020 5:55 PM|

आइए जानते हैं 12 से 18 जुलाई के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल। और क्या फसलों से जुड़ी सलाह।

राजस्थान में आमतौर पर मॉनसून सीज़न के 4 महीनों में काफी कम बारिश मिलती है। इसमें भी साल 2020 के मॉनसून में सामान्य से काफी कम वर्षा हुई है। 1 जून से 11 जुलाई के बीच पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 8% कम जबकि पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 13% कम वर्षा हुई है।

इस सप्ताह उम्मीद है कि पूर्वी तथा दक्षिण पूर्वी राजस्थान में वर्षा की गतिविधियां बढ़ेंगी। गंगानगर तथा हनुमानगढ़ में भी छिटपुट वर्षा हो सकती है। अब तक उपेक्षित रहे जिलों बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर और बाड़मेर समेत आसपास के भागों में 16 से 18 जुलाई के बीच वर्षा की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। हालांकि इस दौरान भी भारी वर्षा की संभावना पूर्वी जिलों में है।

पश्चिमी जिलों में मूसलाधार बारिश, जो धरती को तृप्त कर दे, फिलहाल इस सप्ताह भी संभावित नहीं है।

राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह

मौसम मुख्यतः शुष्क रहने की संभावना को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि फसलों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई दें। उर्वरकों, कीट-नाशकों, शाक-नाशी आदि का छिड़काव भी इन दिनों किया जा सकता है। कम वर्षा वाले बारानी क्षेत्रों के लिए मोठ सबसे अच्छी फसल है। इसकी बिजाई का उचित समय जुलाई माह से शुरू होकर 15 अगस्त तक रहता है। बिजाई से पूर्व बीज का राइजोबियम कल्चर करें तथा 2 ग्राम बाविस्टीन कवकनाशी प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।

बाजरे की बिजाई का उचित समय जुलाई माह के अंत तक होता है, लेकिन पहली वर्षा के साथ ही बिजाई कर देना उत्तम है। सामान्यत: बाजरे की बिजाई के लिए 4 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। अनिश्चित वर्षा वाले क्षेत्रों में बाजरे के साथ दलहनी फसलों को भी बोना चाहिए। रेतीली मिट्टी की बारानी दशा में बाजरे की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए बीज को 0.1% थायोयूरिया के घोल (1.0 लीटर पानी में 1 ग्राम थायोयूरिया) में 5-6 घंटे भिगोकर, छाया में सुखाकर बिजाई करें।

सिंचित क्षेत्रों में बाजरे की फसल में प्रति हेक्टेयर 90 कि.ग्रा. नत्रजन व 40 कि.ग्रा. फास्फोरस की आवश्यकता होती है। नत्रजन की आधी मात्रा व फास्फोरस की पूरी मात्रा बिजाई के साथ दें। बरसात का मौसम शुरू होते ही कद्दू वर्गीय सब्जियों जैसे ककडी पर केटरपिलर, लौकी व तोरई पर लीफ माइनर तथा कद्दू पर बीटल का प्रकोप शुरू हो जाता है। इन कीटों की रोकथाम के लिए मेलाथियान 2-3 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

Image credit:Rajasthan About

कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार:skymetweather.comअवश्य लिखें।

Similar Articles

thumbnail image
होली पर कैसा रहेगा मौसम? जानिए दिल्ली, मुंबई, जयपुर, पटना, मथुरा समेत कई शहरों का मौसम पूर्वानुमान

रंगों के त्योहार होली पर मौसम का मिजाज अलग-अलग शहरों में भिन्न रहेगा। कुछ जगहों पर हल्की बारिश की संभावना है, तो कुछ शहरों में चटख धूप खिली रहेगी। आइए जानते हैं दिल्ली, मुंबई, जयपुर, पटना, मथुरा, हरियाणा, केरल और उत्तराखंड के लिए होली का मौसम कैसा रहेगा।

posted on:
thumbnail image
पश्चिमी विक्षोभ लगातार सक्रिय, हिमालयी राज्यों में बारिश और बर्फबारी की चेतावनी

इस बार मार्च में भी पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय बना हुआ है, जिससे पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों दोनों में प्रभाव देखने को मिलेगा। जहां हिमालयी राज्यों में बर्फबारी की कमी दूर होगी, वहीं उत्तर भारत के किसान ओलावृष्टि और बारिश के कारण सतर्कता बरतने की जरूरत होगी।

posted on:
thumbnail image
[Hindi] सम्पूर्ण भारत का मार्च 12, 2025 का मौसम पूर्वानुमान

अगले 24 घंटे के दौरान सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, केरल और लक्षद्वीप में हल्की से मध्यम बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ सकती हैं।सिक्किम और उत्तराखंड में भी हल्की बारिश और बर्फबारी हो सकती है। तमिलनाडु और पंजाब में हल्की बारिश होने की संभावना है।

posted on:
thumbnail image
रंगों के साथ बरसेंगे बादल, इस बार होली पर कई राज्यों में होगी बारिश

आमतौर पर, इस मौसम में होली के समय गर्मी महसूस की जाती है। लेकिन साल 2025 इसमें अपवाद साबित हो सकता है, क्योंकि इस बार देश के कई शहरों में होली के दौरान बारिश होने की संभावना है। खासकर उत्तरी मैदानी इलाकों में इस समय बारिश बहुत कम होती है, लेकिन इस बार मौसम कुछ अलग रहने वाला है।

posted on: