आइए जानते हैं 6 से 12 दिसम्बर के बीच कैसा रहेगा राजस्थान में मौसम का हाल। और क्या फसलों से जुड़ी सलाह।
राजस्थान में पिछले कई दिनों से मौसम पूरी तरह से शुष्क बना हुआ है जिसके परिणामस्वरूप पश्चिमी राजस्थान में बारिश में कमी सामान्य से 63% नीचे पहुँच गई है। पूर्वी राजस्थान में भी सामान्य से 61% कम वर्षा दर्ज की गई है।
इस समय राजस्थान के अधिकांश जिलों के अधिकतम तापमान सामान्य से 2 से 3 डिग्री और कुछ स्थानों पर 4 डिग्री तक ऊपर बने हुए हैं। न्यूनतम तापमान भी सामान्य से अधिक बने हुए हैं। अगले 2 या 3 दिनों तक तापमान में कोई अधिक फेरबदल होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। 11 तारीख के आसपास राजस्थान के कुछ भागों में हल्की वर्षा तथा एक-दो स्थानों पर मध्यम वर्षा के आसार हैं जिसके परिणाम स्वरूप अधिकतम तापमान में कुछ गिरावट देखने को मिल सकती है।
शेष सभी दिनों में राजस्थान में मौसम शुष्क ही बना रहने की संभावना है।
राजस्थान के किसानों के लिए फसल सलाह
मौसम के मुख्यतः शुष्क और सामान्य बने रहने की संभावनाओं को देखते हुए किसानों को सलाह है कि खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई दें। सिंचित क्षेत्रों में समय पर बोई गई चने की फसल में 50-60 दिन बाद सिंचाई करें। इन क्षेत्रों में चने की फसल में दीमक का प्रकोप दिखाई देने पर क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. कीटनाशक दवा की 4 लीटर मात्रा प्रति हेक्टर की दर से सिंचाई के पानी के साथ दें अथवा प्रभावित क्षेत्र में कीटनाशक की ड्रेंचिंग करें। वर्तमान के मौसम में फूलगोभी व पत्तागोभी में हरी सुन्डी तथा तम्बाकू वाली लट का प्रकोप होने की सम्भावना रहती है। इनके नियंत्रण के लिए मैलाथियान (50 ई.सी.) की एक लीटर मात्रा अथवा प्रोक्लेम (5 एस. जी.) की 200 ग्राम मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें।
सरसों की पछेती बिजाई की फसल में प्रारंभिक अवस्था में पत्ती काटनेवाले कीटों के नियंत्रण हेतु 20 कि.ग्रा. क्यनालफास (1.5%) चूर्ण प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़के अथवा 1 मि.ली. मेलाथियान (50 ई.सी.) प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। सरसों की फसल में बुवाई के 50-60 दिन के बाद सफेद रोली बीमारी की होने की भी संभावना रहती है, अतः रोकथाम हेतु नियमित रूप से खेत का निरीक्षण करें तथा बीमारी दिखते ही 2 ग्राम मेटालेक्सिल प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
Image credit: The News Minutes
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